बड़ी खबर: गैंगेस्टर अनिल गुप्ता की बढ़ी मुसीबतें, फर्जी RTI/लीगल नोटिस के नाम पर अधिकारियों को डरा-धमका अर्जित की गयी सम्पतियों की जब्ती में जुटा जिला प्रशासन
कभी अपने जाति का संगठन बनाकर तो कभी आरटीआई कार्यकर्ता का भेष बनाकर जिला स्तरीय अधिकारियों को ब्लैकमेल करने वाले गैंगेस्टर अनिल गुप्ता की मुसीबतें और बढ़ने वाली हैं। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
महराजगंज: शार्टकट अपना कर जल्द अमीर बनने का ख्वाब कैसे लोगों को अपराध की दुनिया के दलदल में समा देता है इसका जीता जागता उदाहरण है घुघली थाने के बेलवा टीकर गांव के निवासी कोदई गुप्ता का पुत्र अनिल गुप्ता।
आठ साल में हत्या, रंगदारी, धोखाधड़ी जैसे संगीन मुकदमों की लगी झड़ी
महज आठ साल के भीतर इस पर जिले के चार अलग-अलग थानों में हत्या, रंगदारी, धोखाधड़ी आदि संगीन धाराओं में नौ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। इससे भी हैरान करने वाली बात यह है कि चाहे सरकार किसी की रही हो, यह सभी सरकारों में आये जिलाधिकारियों के निशाने पर रहा है।
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तो क्या यह जरायम की दुनिया का अभ्यस्त अपराधी बनने की राह पर है? स्थानीय जानकार बताते हैं इसके पीछे बड़ी वजह इसकी मनबढ़ई और कम समय में जल्द अमीर बनने का काला सपना है।
साल-दर-साल होती गयी आपराधिक कुंडली में तरक्की
अपने काले-कारनामों के चलते कई बार जेल की यात्रा कर चुके इस अपराधी की सरकारी कुंडली देख आप हैरान रह जायेंगे। डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के मुताबिक इस पर सबसे पहला मुकदमा जिले के कोठीभार थाने में निक्कू हत्याकांड का दर्ज हुआ। इसके बाद साल-दर-साल इसकी सरकारी आपराधिक कुंडली में तरक्की होती गयी।
दो-दो बार गुंडा एक्ट, जिला बदर
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हत्या जैसी संगीन धारा में दर्ज मुकदमे में चार्ज शीट लगने के बाद अब मामला न्यायालय की चौखट पर है। जिसमें कभी भी फैसला आ सकता है। इसके आपराधिक कारनामों की वजह से इस पर पहली बार वर्ष 2014 में गुंडा एक्ट लगा। 2017 में भाजपा सरकार के दौरान एक बार फिर इस पर गुंडा एक्ट लगा। जिला प्रशासन ने इसको जिला बदर तक किया। फिर भी यह नहीं सुधरा।
घुघली थाने का मजारिया हिस्ट्रीशीटर
इसकी सरकारी कुंडली ने इसे घुघली थाने का हिस्ट्रीशीटर घोषित करा डाला। डाइनामाइट न्यूज़ के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक यह थाना- घुघली का मजारिया हिस्ट्रीशीटर है और इसका HS नंबर 7-बी है।
आधा दर्जन अफसरों की रिपोर्ट में ब्लैकमेलिंग पायी गयी सच
करीब आधा दर्जन जिला स्तरीय अधिकारियों की अलग-अलग कालावधियों में की गयी जांच के सरकारी दस्तावेज बताते हैं कि यह गिरोह बनाकर अफसरों से आरटीआई के नाम पर ब्लैकमेलिंग करता है। साथ ही सोशल लीगल वेलफेयर सोसायटी के नाम से एक प्राइवेट एनजीओ भी चलाता है। यही नहीं लोगों को गुमराह करने के लिए अलग-अलग भेष धरते हुए अपने जाति के नाम का संगठन भी चलाता है।
विकास भवन और कलेक्ट्रेट के अफसर और कर्मचारी परेशान
आये दिन विकास भवन और कलेक्ट्रेट में अफसर इसकी उगाही से परेशान होते हैं। कुछ महीने पहले इसने डूडा के परियोजना अधिकारी से अवैध वसूली के चक्कर में बवाल किया तो इस पर एक और मुकदमा ठोंका गया। विकास भवन और कलेक्ट्रेट के कर्मचारी इसके वसूली के आतंक से आजिज होकर किसी दिन इसकी विधिवत कुटाई कर दें तो आश्चर्य नहीं।
भाजपा के एक प्रमुख जनप्रतिनिधि ने की लखनऊ में शिकायत
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सत्तारुढ़ भाजपा के एक प्रमुख जनप्रतिनिधि ने इसकी शिकायत लखनऊ में उच्च स्तर पर की। जिस पर गृह विभाग के विशेष सचिव ने 14 अक्टूबर को पुलिस अधीक्षक को पत्र लिख इस पर सख्त कार्यवाही करने को कहा।
नये डीएम ने लिया निशाने पर
इसी बीच जिले की कमान नये जिलाधिकारी ने संभाली। पहले दिन से ही भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टालरेंस की नीति अपनाने वाले नये डीएम को जैसे ही इसकी आपराधिक वसूली की शिकायत अफसरों से मिली तो उन्होंने इसे निशाने पर ले लिया।
दिसबंर में पुलिस ने गैंगेस्टर ठोंक, ठूंसा जेल में
दिसबंर महीने में इस हिस्ट्रीशीटर पर जिला प्रशासन ने गैंगेस्टर ठोंका और जेल में ठूंस दिया। महीनों जेल में रहने के बाद जमानत पर बाहर निकला अनिल गुप्ता लगातार धमकी दे रहा है कि वह जेल भेजने वाले जनप्रतिनिधियों, अफसरों और इस बारे में खबर लिखने वाले पत्रकारों को देख लेगा। सोशल मीडिया पर यह लगातार अपनी काली मंशा जाहिर कर लोगों को दबाव में लेने का कुत्सित प्रयास कर रहा है।
अवैध काली संपत्ति को जब्त करने की कार्यवाही हुई तेज
इस बीच नयी खबर यह डाइनामाइट न्यूज़ के हाथ लगी है कि कोतवाली पुलिस ने एक पत्र जिला प्रशासन को लिखा है। 11 मार्च के इस पत्र में लिखा गया है कि मुकदमा अपराध संख्या 238/19 धारा 3(1) उ.प्र. गिरोहबंद एवं समाजविरोधी क्रिया कलाप निवारण अधिनियम के अंतर्गत गैंगेस्टर अनिल गुप्ता के अचल संपत्तियों का विवरण उपलब्ध करायें। जिला प्रशासन के निशाने पर चढ़े अपराधी अनिल गुप्ता की पूरी कुंडली खंगाली जा रही है कि इसने कौन-कौन सी संपत्ति जरायम के रास्ते पर चल अर्जित की है। प्रशासनिक जांच के बाद इसकी जब्ती की कार्यवाही तेज हो जायेगी। मतलब साफ है कि जुर्म के राह पर चलने वाले कितने ही शातिर क्यों न हों कानून के लंबे हाथों से नहीं बच सकते।