पंकज चौधरी को मिला वित्त राज्यमंत्री का पद, निर्मला सीतारमण के साथ पंकज समेत दो वित्त राज्यमंत्री, शिव प्रताप शुक्ला जैसे काबिल राज्यमंत्री इस विभाग में हो चुके हैं फेल
तेजतर्रार और धाकड़ मंत्री निर्मला सीतारमण के मातहत के रुप में वित्त राज्यमंत्री की जिम्मेदारी पंकज चौधरी को दी गयी है। इसी पद पर रहते हुए शिव प्रताप शुक्ला को हटा दिया गया था। यहां पर पंकज के लिए अपने आप को पीएम मोदी की नजरों में साबित करना बड़ी चुनौती होगी क्योंकि राज्यमंत्री को केन्द्र में बेहद कम अधिकार दिये जाते हैं और हर फैसले के लिए वित्त मंत्री की मर्जी पर निर्भर रहना होगा। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव अपडेट:
नई दिल्ली: तेजतर्रार और धाकड़ मंत्री निर्मला सीतारमण के मातहत के रुप में वित्त राज्यमंत्री की जिम्मेदारी पंकज चौधरी को दी गयी है। इसी पद पर रहते हुए शिव प्रताप शुक्ला को हटा दिया गया था। यहां पर पंकज के लिए अपने आप को पीएम मोदी की नजरों में साबित करना बड़ी चुनौती होगी क्योंकि राज्यमंत्री को केन्द्र में बेहद कम अधिकार दिये जाते हैं और हर फैसले के लिए वित्त मंत्री की मर्जी पर निर्भर रहना होगा।
मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में कई जूनियर सांसदों ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली लेकिन 6 बार के सांसद पंकज चौधरी को सिर्फ़ राज्यमंत्री के पद से संतोष करना पड़ा है।
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सभासद के पद से राजनीतिक शुरुआत करने वाले पंकज महराजगंज सीट से 6वीं बार साँसद चुने गये हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ को मिली जानकारी के अनुसार दिन में जब ये ख़बर वायरल होनी शुरू हुई कि पंकज को कैबिनेट मंत्री बनाया जा सकता है, इस ख़बर के बाद उनका विरोधी ख़ेमा लखनऊ से लेकर दिल्ली तक सक्रिय हो गया और नतीजा ये हुआ कि इनको कैबिनेट मंत्री की जगह राज्यमंत्री से संतोष करना पड़ा।
मोदी-शाह-नड्डा की जोड़ी
यह भी खबर है कि दिल्ली की राजनीति में पंकज राजनाथ सिंह और लखनऊ की राजनीति में रमापति राम त्रिपाठी के करीबी माने जाते हैं। शायद यही कारण है कि कई बार जीतने के बावजूद पंकज को मोदी-शाह-नड्डा की जोड़ी ने सात साल तक मंत्री नहीं बनने दिया।
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आठ बार के सांसद रहे संतोष गंगवार और पंकज दोनों कुर्मी समुदाय से आते हैं। संतोष के इस्तीफे के बाद कुर्मी जाति के कोटे को एडजस्ट करने के चक्कर में पंकज की लाटरी लगी। 30 साल के राजनीतिक इतिहास में पंकज को कभी भी मंत्री पद नसीब नहीं हुआ।
न मिल चलवायी और न रेलवे लाइन लायी
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स्थानीय जानकार बताते हैं कि पंकज पहले अटल और बाद में मोदी के नाम पर चुनाव जीतते रहे हैं लेकिन इन पर सबसे बड़ा आरोप है कि इन्होंने कभी भी जिले के विकास में रुचि नहीं ली।
छोटी-मोटी योजनाओं और कामों को छोड़ दें तो पंकज ने तीस साल में न तो एक भी कारखाना या उद्योग धंधे लगवाये जिससे बेरोजगारों को रोजगार मिल सके। और तो और जिले की दो सबसे बड़ी समस्याओं को आज तक उन्होंने हल नहीं करवाया। पहला- आनंद नगर की गणेश शुगर मिल और दूसरा- महराजगंज जनपद मुख्यालय को रेलवे लाइन से जोड़ना।
हैरानी की बात यह है कि पिछले सात साल से केन्द्र में भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है और सवा चार साल से उत्तर प्रदेश में भी भाजपा की पूर्ण बहुमत की सरकार है। इसके बावजूद भी पंकज महराजगंज जिला मुख्यालय को रेल लाइन से नहीं जोड़वा पाये, इसको लेकर स्थानीय जनता में तरह-तरह की चर्चायें समय-समय पर होती रहती हैं।
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