मौत के दो साल बाद BJP ने बनाया मंडल अध्यक्ष, List देख उड़े होश
यूपी बीजेपी में अध्यक्ष के रूप में सबसे छोटी ईकाई के मंडल अध्यक्षों का रविवार की देर रात ऐलान कर दिया गया है। रायबरेली जनपद में भी 22 मंडल अध्यक्षों को चुना गया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
रायबरेली: यूपी बीजेपी में अध्यक्ष के रूप में सबसे छोटी ईकाई के मंडल अध्यक्षों का रविवार की देर रात ऐलान कर दिया गया है। रायबरेली जनपद में भी 22 मंडल अध्यक्षों को चुना गया। इसके साथ में ही 22 जिला प्रतिनिधियों का भी ऐलान हुआ। बीजेपी प्रदेश मुख्यालय की इसी सूची में एक ऐसा नाम है जो कि अब इस दुनिया में नहीं हैं। लेकिन इसके बाद भी बीजेपी ने जातीय समीकरण साधने के लिए उनको जिम्मेदारी दे दी है। मृतक संजय मौर्य को मिली यह जिम्मेदारी अब खूब चर्चा का विषय बनी हुई है। सोशल मीडिया पर उनका नाम खूब वायरल किया जा रहा है
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार यह सूची चुनाव अधिकारी व पूर्व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय की संस्तुति पर फाइनल हुई है। जिले में मण्डल अध्यक्ष चुनाव की जिम्मेदारी राकेश मिश्रा के पास थी। जिला प्रभारी पीयूष मिश्रा और पर्यवेक्षक के रूप में प्रदेश महामंत्री संजय राय की देखरेख में मण्डल अध्यक्ष का चुनाव किया गया है। मण्डल अध्यक्ष के पद में जातीय आधार पर समीकरण को खूब साधने की कोशिश की गई है।
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विधानसभावार जारी लिस्ट में पार्टी की तरफ से यादव से दूरी बनाई गई है। इसके अलावा ओबीसी की अन्य जातियों को भी कम भागीदारी मिल पाई है। मण्डल अध्यक्ष के विभिन्न पदों को लेकर लोगों में जहां खूब आपत्ति जताई जा रही है तो वहीं मृतक संजय मौर्य को जिम्मेदारी देना बहुत ही चर्चा का विषय बना हुआ है।
बीजेपी की तरफ से राही ब्लॉक का जिसे जिला प्रतिनिधि बनाया गया है। उसकी मृत्यु 18 मई 2022 को हो चुकी है। संजय मौर्य को यह जिम्मेदारी बीजेपी की तरफ से जातिगत वोट साधने के लिए दी गई है। लेकिन प्रश्न बीजेपी के पूरे सिस्टम पर आखिर क्या उन्होंने सिर्फ नाम देखकर ही लोगों को अहम पदों की जिम्मेदारी दे दी है। फिलहाल सोशल मीडिया पर संजय मौर्य का नाम तेजी के साथ में दौड़ रहा है और लोग लिख रहे हैं कि ‘यमलोग’ से संजय मौर्य बीजेपी के जिला प्रतिनिधि पद पर काम करेंगे।
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रायबरेली के राही ब्लॉक में डिहवा रहने वाले मृतक संजय मौर्य के भाई अशोक ने बताया कि उनके भाई की मृत्यु दो-तीन साल पहले हो गई है। भाजपा द्वारा जो लिस्ट जारी की गई है वह गलत है। वह दो-तीन साल पहले खत्म हो गए हैं। उनका नाम लिस्ट में डालने से घर में फोन आ रहे हैं। उनकी मौत हो जाने से उनके परिजन परेशान है। इस तरह का कार्य पार्टी द्वारा गलत किया गया है। जो जीवित है उस व्यक्ति का नाम लिस्ट में डालना चाहिए।