क्या AI कर सकता है पोषण संबंधी सलाह का लोकतंत्रीकरण? पढ़ें ये खास रिपोर्ट
जब आप ऑनलाइन जाकर देखते हैं कि लोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) टूल्स जैसे चैटजीपीटी का कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप तुरंत पाएंगे की खाने संबंधी अनुरोध सबसे ऊपर है। खासतौर पर उपयोगकर्ता अपने व्यक्तिगत आहर लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मैन्यू तैयार करने में इनकी मदद चाहते हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
बेलफास्ट: जब आप ऑनलाइन जाकर देखते हैं कि लोग कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) टूल्स जैसे चैटजीपीटी का कैसे इस्तेमाल कर रहे हैं तो आप तुरंत पाएंगे की खाने संबंधी अनुरोध सबसे ऊपर है। खासतौर पर उपयोगकर्ता अपने व्यक्तिगत आहर लक्ष्यों को हासिल करने के लिए मैन्यू तैयार करने में इनकी मदद चाहते हैं।
लेकिन आहार संबंधी सलाह देने में यह प्रौद्योगिकी कितनी प्रभावी है?
एक उपभोक्ता सर्वेक्षण में, पांच में से तीन से अधिक उपभोक्ताओं ने बताया कि वे स्वस्थ आहार लेना चाहेंगे। लगभग 73 प्रतिशत ने महसूस किया कि ऐसा भोजन खरीदना महत्वपूर्ण है जिसका पर्यावरणीय प्रभाव कम हो।
दुनिया भर में घटिया आहार दीर्घकालिक बीमारी और मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। इसके अतिरिक्त, मानव-जनित ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन का एक तिहाई हिस्सा भोजन से जुड़ा हुआ है। इस पृष्ठभूमि में, यह स्पष्ट है कि व्यवहार में परिवर्तनकारी बदलाव को प्राप्त करने में मदद की जरूरत है।
हालांकि, 19.9 प्रतिशत यूरोपीय ने स्वयं सूचित किया है कि खाने की एलर्जी से ग्रस्त रहते हैं, ऐसे में भोजन संबंधी निर्णय खुद को प्रतिकूल असर से बचाने के लिए होना चाहिए। इस निर्णय की उन्हें कीमत चुकानी पड़ती है क्योंकि भोजन के प्रति अति-संवेदनशीलता वाले लोगों को भोजन पदार्थ खरीदने पर सामान्य लोगों के मुकाबले 12 से 27 प्रतिशत अधिक व्यय करना पड़ता है। एलर्जी से पीड़ित लोगों को अनुसंधान कर अपना योजना तैयार करने में औसतन अतिरिक्त 40.37 दिन व्यय करने पड़ते हैं।
इसलिए, एआई कई परिवारों को स्वस्थ आहार देने में मदद कर सकता है लेकिन साथ ही खाद्य एलर्जी वाले लोगों के मामले में एक गलती भी उनकी जान पर भारी पड़ सकती है। नारियल तेल जैसे कथित स्वस्थ अवयवों के सेवन को लेकर भी चिंता जताई गई है, यह बेहद महत्वपूर्ण है कि पोषण विशेषज्ञ इन प्रौद्योगिकी समाधानों को सूचित करने में मदद करें।
कैसे एआई मदद कर सकता?
कनाडा में विद्वानों ने विशेष तरीके के एआई का इस्तेमाल खाद्य लेबल संबंधी जानकारी लिखने के लिए की जिसे नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (एनपीएल) और मशील लर्निंग के तौर जानते हैं। इसका इस्तेमाल खाद्य उत्पाद का उनके पोषण तत्व के आधार पर श्रेणीबद्ध करने के लिए किया जाता है।
ऐसे मानदंडों में खाद्य श्रेणीकरण करने के लिए संदर्भ मात्रा टेबल शामिल है जिसका इस्तेमाल देश में सरकारी स्वास्थ्य नीति बनाने वाला विभाग ‘हेल्थ कनाडा’ करता है। साथ ही ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड में खाद्य मानक बनाने वाले भी इस सारिणी के आधार पर पोषण प्रोफाइलिंग प्रणाली बनाते हैं। यस प्रदर्शित करता है कि प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल बड़ी संख्या में खाद्य उत्पादों को मानवीय आधार पर कम समय में श्रेणीबद्ध करने में किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें |
क्या बढ़ते एआई के नियमन में भारत को जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, पढ़ें ये रिपोर्ट
इस प्रौद्योगिक का वाणिज्यिक तौर पर पहले ही इस्तेमाल हो रहा है। इसका एक उदाहरण कंपनी फूड माएस्ट्रो है। स्पून गुरु कंपनी जिससे मैं जुड़ा हूं, वह गत आठ साल से वैश्विक खुद्रा व्यापार करने वालों से जुड़ी है और उन्हें एआई प्रणाली का इस्तेमाल कर खाद्य उत्पादों की तलाश करने और ऑनलाइन ग्रॉसरी शॉपिंग मंच के भीतर ही उनकी विशेषताओं जानने में मदद करती है जिसे पंजीकृत पोषणविदों के साथ विकसित किया गया है।
जेनरेटिव एआई बड़ी संख्या में लार्ज लेंग्वेज मॉडल (एलएलएम) और मशीन लर्निंग का इस्तेमाल कर न केवल लेखों से शब्द की पहचान करते हैं बल्कि लेख में मौजूद उन शब्दों के संदर्भ को भी इनसान की तरह समझते हैं।
चैट जीपीटी जैसे एआई चैटबॉट जानकारी का समन्वय करने, पाठ को सारांशित करने और सवालों के जवाब देने के लिए इस तकनीक का उपयोग करते हैं। इसका उपयोग मैन्यू तैयार करने, व्यंजनों की सलाह देने और खरीदारी की सूचियां को संकलित करने के लिए किया जा सकता है।
चैटबॉट परीक्षण
मैन्यू योजना और आहार संबंधी सलाह के लिए चैट जीपीटी का उपयोग करने वाली प्रारंभिक विशेषज्ञ समीक्षाओं ने मिश्रित परिणाम दिए हैं।एलर्जी से पीड़ित लोगों के लिए आहार योजना तैयार करने की चैटबॉट की क्षमता का आकलन करने के लिए किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि 56 आहारों में से, इसने एक अवसर पर असुरक्षित योजना तैयार की, जिसमें अखरोट-मुक्त आहार योजना में बादाम का दूध शामिल था।
अन्य गलतियां भी थीं। उदाहरण के लिए, भोजन की मात्रा और उससे मिलने वाली ऊर्जा की गणना में गलतियां थीं और मैन्यू योजनाओं में समान खाद्य पदार्थों की पुनरावृत्ति थी।
मोटापे के उपचार के लिए चैटजीपीटी की क्षमता की समीक्षा के दौरान, समीक्षकों ने रोगी की गोपनीयता और सुरक्षा के संबंध में चिंता जताई। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि हानिकारक सलाह प्रदान किए जाने पर जवाबदेही की कमी है। इन मॉडलों को वर्तमान में पेशेवर मानकों या नैतिकता संहिता का पालन करने की आवश्यकता नहीं है।
आहार विशेषज्ञों ने टाइप 2 मधुमेह से ग्रस्त लोगों या हेमोडायलिसिस - गुर्दे की विफलता के इलाज करा रहे लोगों के लिए एक आदर्श आहार मैन्यू तैयार करने की चैटजीपीटी की क्षमता का परीक्षण किया जिसमें भी कई खामियां मिलीं।
नैतिक असर
यह भी पढ़ें |
क्या AI के आने से कम हो जाएंगी नौकरियां?, पढ़ें पूरी रिपोर्ट
सावधानी बरतने की जरूरत की ओर संकेत देने के बावजूद कुछ शुरुआती अध्ययनों में यह भी कहा गया कि एआई में व्यक्ति आधारित पोषण सलाह प्रदान करने की क्षमता है।
चैटजीपीटी की प्रतिक्रियाएं अकसर प्रकाशित भोजन-आधारित आहार दिशानिर्देशों के अनुरूप होती हैं। उदाहरण के लिए, चैटबॉट ने हर भोजन में फल और सब्जियां शामिल कीं, और परामर्श दिए, जैसे ‘‘लेबल को ध्यान से पढ़ना महत्वपूर्ण है’’ और ‘‘स्वास्थ्य पेशेवर से परामर्श लें।’’
प्रौद्योगिकी के नैतिक निहितार्थ, सुरक्षा और गुणवत्ता को इन व्यवसायों में उपयोग किए जाने से पहले पूरी तरह से समझने की आवश्यकता होगी। हालांकि, ग्राहक और मरीज़ इसकी परवाह किए बिना इसका नियमित उपयोग करना चुन सकते हैं।
चैटजीपीटी जैसी प्रौद्योगिक आहार विशेषज्ञों और पंजीकृत पोषण विशेषज्ञों के लिए खाद्य पदार्थों के बारे में तुरंत जानकारी प्राप्त करने, उनके काम को सूचित करने में मदद करने के लिए उपयोगी हो सकती है।
भोजन और स्वास्थ्य के बीच संबंधों की जांच करने वाले शिक्षाविद् समय बचाने या अपने अनुसंधान के लिए नवीन दृष्टिकोण विकसित करने के लिए एआई का उपयोग कर सकते हैं। इससे उनके अनुसंधान के प्रभाव को बढ़ाने में मदद मिल सकती है, जिससे इसकी पहुंच बढ़ेगी और समाज को लाभ होगा।
नीति निर्माता, नियामक और खाद्य उद्योग में काम करने वाले लोग भोजन के स्वास्थ्य और सतता को लेकर रुचि रखते हैं। वे इस बात में भी रुचि लेते हैं कि इस क्षेत्र में सलाह जनता तक कैसे पहुंचाई जाती है।
चैटजीपीटी जैसे माध्यम भोजन और स्वास्थ्य के बारे में जानकारी और गलत सूचना के एक बिल्कुल नए आयाम का प्रतिनिधित्व करते हैं।
प्रौद्योगिकी के उपयोग से आम जनता के लिए व्यक्तिगत आहार संबंधी सलाह पहुंचाने का दायरा बढ़ सकता है। यह व्यक्तियों को उनके स्वास्थ्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में आने वाली बाधाओं को दूर करने में भी मदद कर सकता है।
हालांकि सुरक्षा पहले आनी चाहिए। आहार संबंधी सलाह प्रदान करने के लिए ऐसी प्रौद्योगियों को विकसित करने के दौरान पोषण विशेषज्ञों, वैज्ञानिक से पुख्ता जानकारी और गुणवत्ता प्रक्रिया को केंद्र में रखना चाहिए।