बालासोर ट्रेन दुर्घटना मामले में सीबीआई ने तीन रेलकर्मियों को गिरफ्तार किया
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दो जून को ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना के सिलसिले में शुक्रवार को तीन रेलकर्मियों को गिरफ्तार किया। इस मामले में यह पहली गिरफ्तारी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने दो जून को ओडिशा के बालासोर में हुई ट्रेन दुर्घटना के सिलसिले में शुक्रवार को तीन रेलकर्मियों को गिरफ्तार किया। इस मामले में यह पहली गिरफ्तारी है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि एजेंसी ने वरिष्ठ अनुभाग अभियंता (सिग्नल) अरुण कुमार महंत, अनुभाग अभियंता मोहम्मद आमिर खान और तकनीशियन पप्पू कुमार को गिरफ्तार किया है।
अधिकारियों ने बताया कि ये तीनों आरोपी बालासोर जिले में तैनात हैं और सभी सिग्नल विभाग में कार्यरत हैं।
उन्होंने बताया कि खान बालासोर के पास सोरो में तैनात हैं।
अधिकारियों ने कहा कि तीनों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), धारा 201 (साक्ष्य नष्ट करना) और रेलवे अधिनियम की धारा 153 के तहत गिरफ्तार किया गया है।
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उन्होंने कहा कि छह जून को जांच अपने हाथ में लेने के बाद से सीबीआई ने तीनों आरोपियों से कई बार पूछताछ की थी।
बालासोर ट्रेन दुर्घटना में 293 यात्रियों की मौत हुई थी। इस दुर्घटना में तीन ट्रेन- शालीमार-चेन्नई कोरोमंडल एक्सप्रेस, बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस और एक मालगाड़ी शामिल थी।
अधिकारियों ने कहा कि सीबीआई ने ओडिशा पुलिस से जांच अपने हाथ में ली थी, जिसने आईपीसी की धारा 304 को नहीं जोड़ा था। उन्होंने बताया कि इसके बजाय ओडिशा पुलिस ने धारा 304-ए (आपराधिक लापरवाही के परिणामस्वरूप मौत) को शामिल किया था।
आईपीसी की धारा 304 के तहत अधिकतम सजा 10 साल जबकि 304-ए के लिए दो साल की सजा का प्रावधान है।
सीबीआई के प्रवक्ता आर.सी. जोशी ने कहा, ‘‘बालासोर रेल हादसे की जांच के मद्देनजर सीबीआई ने आज तत्कालीन एसएसई (सिग्नल) बालासोर, तत्कालीन एसएसई (सिग्नल) सोरो और तत्कालीन तकनीशियन बालासोर को आईपीसी की धारा 304 और 201 और रेलवे अधिनियम, 1989 की धारा 153 के तहत गिरफ्तार किया।’’
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एजेंसी अब गिरफ्तार आरोपियों को शनिवार को एक विशेष मजिस्ट्रेट के सामने पेश करेगी, जहां से इन्हें एजेंसी की हिरासत में भेजने का अनुरोध किया जाएगा।
सीबीआई के अनुसार, महंत कथित तौर पर रेलवे द्वारा की गई प्रारंभिक जांच का हिस्सा थे, जिसमें समझा जाता है कि उन्होंने दुर्घटना के संबंध में सिग्नल विभाग में किसी भी विफलता से इनकार किया था।
रेलवे की एक उच्च-स्तरीय जांच में दुर्घटना का मुख्य कारण ‘‘गलत सिग्नल’’ पाया गया था तथा सिग्नल एवं दूरसंचार (एस एंड टी) विभाग में ‘‘कई स्तरों पर चूक’’ को चिह्नित किया गया था।