छत्तीसगढ़: प्रमुख आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने भाजपा छोड़ी, सहयोगियों पर षड्यंत्र रचने का लगाया आरोप
छत्तीसगढ़ में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रविवार को झटका लगा जब इसके वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
रायपुर: छत्तीसगढ़ में साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को रविवार को झटका लगा जब इसके वरिष्ठ आदिवासी नेता नंद कुमार साय ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया।
साय ने भाजपा से इस्तीफा देकर पार्टी के साथ अपना चार दशक से अधिक पुराना नाता तोड़ दिया।
प्रदेश भाजपा प्रमुख अरुण साव ने घटनाक्रम की पुष्टि की और कहा कि पार्टी फिलहाल साय से संपर्क करने में असमर्थ है, लेकिन वह उनकी किसी भी गलतफहमी को दूर करने के लिए सभी प्रयास करेगी।
दो बार के लोकसभा सांसद और तीन बार के विधायक साय (77) पूर्व में छत्तीसगढ़ और अविभाजित मध्य प्रदेश दोनों में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके हैं।
यह भी पढ़ें |
चुनावी तैयारियों के बीच भाजपा पर ‘सांप्रदायिक और विभाजनकारी’ राजनीति करने का आरोप
साय ने अपने त्यागपत्र में आरोप लगाया कि उनके सहयोगी साजिश रच रहे थे और उनकी छवि खराब करने के लिए झूठे आरोप लगा रहे थे, जिससे उन्हें बहुत दुख हुआ।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं भाजपा की प्राथमिक सदस्यता और सभी पदों से इस्तीफा दे रहा हूं। पार्टी ने मुझे जो भी जिम्मेदारियां दी हैं, मैंने उन्हें पूरी निष्ठा के साथ निभाया। मैं इसके लिए पार्टी का आभार व्यक्त करता हूं।'
छत्तीसगढ़ कांग्रेस की संचार शाखा के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि साय जैसे ‘‘ज्ञानी, विनम्र और सहिष्णु नेता' का पार्टी छोड़ना इस बात का संकेत है कि भाजपा आदिवासी नेताओं को अपमानित और उपेक्षित कर रही है।
शुक्ला ने कहा, ‘‘यदि उन्होंने पार्टी छोड़ी है तो इसका मतलब है कि भाजपा इस बहुत बड़े वर्ग (आदिवासी) की उपेक्षा कर रही है, जिसे साय बर्दाश्त नहीं कर सके।’’
यह भी पढ़ें |
राम विचार नेताम ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के ‘प्रोटेम स्पीकर’ के रूप में शपथ ली
भाजपा के एक प्रमुख आदिवासी चेहरा एवं उत्तरी छत्तीसगढ़ से ताल्लुक रखने वाले साय पहली बार 1977 में मध्य प्रदेश में तपकरा सीट (अब जशपुर जिले में) से जनता पार्टी के विधायक चुने गए थे। वह 1980 में भाजपा की रायगढ़ जिला इकाई के प्रमुख चुने गए। वह 1985 में तपकरा से भाजपा विधायक चुने गए।
वह 1989, 1996 और 2004 में रायगढ़ से लोकसभा सदस्य और 2009 और 2010 में राज्यसभा सदस्य चुने गए। साय 2003-05 तक छत्तीसगढ़ भाजपा अध्यक्ष और 1997 से 2000 तक मध्य प्रदेश भाजपा प्रमुख रहे।
नवंबर 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद वे छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के पहले नेता बने। साय 2017 में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) के अध्यक्ष बने।