कोयला नमूना घोटाला: सीबीआई ने सीआईएमएफआर के पूर्व निदेशक, मुख्य वैज्ञानिक पर मामला दर्ज किया
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कोयला नमूने के परीक्षण से जुड़ी परियोजनाओं के लिए 137 करोड़ रुपये के पारिश्रमिक के वितरण में कथित भ्रष्टाचार को लेकर सीएसआईआर-केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक पी के सिंह और मुख्य वैज्ञानिक ए के सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
नई दिल्ली: केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कोयला नमूने के परीक्षण से जुड़ी परियोजनाओं के लिए 137 करोड़ रुपये के पारिश्रमिक के वितरण में कथित भ्रष्टाचार को लेकर सीएसआईआर-केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक पी के सिंह और मुख्य वैज्ञानिक ए के सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि एजेंसी ने आरोप लगाया है कि लाइब्रेरियन, एमबीबीएस डॉक्टरों और तकनीकी अधिकारियों सहित अपात्र व्यक्तियों को विभिन्न कंपनियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कोयले की गुणवत्ता के परीक्षण से जुड़ी परियोजनाओं में पैसे का भुगतान किया गया था, जबकि नवप्रवर्तकों और प्रमुख योगदानकर्ताओं की संबंधित श्रेणी में उनका योगदान नहीं था।
आरोप है कि तकनीकी हस्तांतरण और ज्ञान आधार, 2005 और 2017 के लिए वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) से जुड़े दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुए 304 कोयला-नमूना परियोजनाओं के माध्यम से पारिश्रमिक के रूप में पी के सिंह को 15.36 करोड़ रुपये जबकि ए के सिंह को 9.04 करोड़ रुपये प्राप्त हुए।
कोयला, बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री की अध्यक्षता में 28 अक्टूबर, 2015 को एक बैठक में सीएसआईआर-सीआईएमएफआर को बिजली और कोयला कंपनियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले कोयले के नमूने और विश्लेषण के लिए तीसरे पक्ष की नमूना एजेंसी के रूप में नियुक्त किया गया था।
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संस्थान द्वारा कोयला उत्पादकों और बिजली कंपनियों के साथ 10 वर्षों के कार्यकाल के लिए चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए, जिन्हें आपसी सहमति पर अगले पांच वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है।
इस समझौते में विशेष रूप से वार्षिक आधार पर नमूने लिए जाने वाले कोयले की गुणवत्ता का उल्लेख किया गया था और छोटी अवधि के लिए विभिन्न परियोजनाओं में उक्त समझौते के किसी भी उप-विभाजन को निर्धारित नहीं किया गया था। हालांकि, सीएसआईआर-सीआईएमएफआर द्वारा कई समझौतों को एक परियोजना में जोड़कर 304 कोयला-नमूना परियोजनाएं बनाई गईं।
प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है, ‘‘एक विशिष्ट समझौते के तहत कार्यकाल को 10 साल से कम करके कई परियोजनाएं बनाई गईं और पारिश्रमिक के वितरण को लेकर परियोजना में नमूने के लिए कोयले की मात्रा निर्दिष्ट की गई।’’
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि पी के सिंह और ए के सिंह ने एक साजिश रची जिसके तहत 2016 से 2021 के बीच कोयला-नमूना परियोजनाओं के तहत सीआईएफएमआर के वैज्ञानिकों, तकनीकी अधिकारियों और प्रशासनिक कर्मचारियों को मानदेय, पारिश्रमिक (बौद्धिक शुल्क) और परियोजना शुल्क के रूप में 137.79 करोड़ रुपये दिए गए।
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पारिश्रमिक में श्रमबल और इनपुट शामिल हैं। श्रमबल का अर्थ है किसी व्यक्ति द्वारा लगाए गए कार्यदिवसों की संख्या और इनपुट परियोजना में उक्त व्यक्ति द्वारा किए गए योगदान को संदर्भित करता है।