अदालत ने ‘शिवलिंग पर बिच्छू’ संबंधी टिप्पणी के मामले में थरूर को दलीलें पेश करने का आखिरी मौका दिया
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर को उस याचिका पर दलीलें पेश करने का अंतिम मौका दिया जिसमें उन्होंने ‘‘शिवलिंग पर बिच्छू’’ वाली उनकी कथित टिप्पणी को लेकर भाजपा नेता की शिकायत पर अपने खिलाफ शुरू की गई मानहानि की कार्यवाही को चुनौती दी है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कांग्रेस सांसद शशि थरूर को उस याचिका पर दलीलें पेश करने का अंतिम मौका दिया जिसमें उन्होंने ‘‘शिवलिंग पर बिच्छू’’ वाली उनकी कथित टिप्पणी को लेकर भाजपा नेता की शिकायत पर अपने खिलाफ शुरू की गई मानहानि की कार्यवाही को चुनौती दी है।
थरूर द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को निशाना बनाते हुए कथित तौर पर ‘‘शिवलिंग पर बिच्छू’’ वाली टिप्पणी की थी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा ने थरूर के वकील के अनुरोध पर मामले को 15 मार्च, 2024 तक के लिए स्थगित कर दिया और उनसे लिखित दलीलें प्रस्तुत करने को कहा। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट कर दिया कि यदि सुनवाई की अगली तारीख पर मामले पर बहस नहीं हुई तो याचिका पर लिखित दलीलों के आधार पर फैसला किया जाएगा।
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उच्च न्यायालय ने 16 अक्टूबर, 2020 को मानहानि की शिकायत पर थरूर के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी थी। अदालत ने नोटिस जारी किया था और निचली अदालत द्वारा जारी समन को चुनौती देने वाली थरूर की याचिका पर शिकायतकर्ता राजीव बब्बर से जवाब मांगा था।
थरूर ने निचली अदालत के 27 अप्रैल, 2019 के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया, जिसके द्वारा उन्हें आपराधिक मानहानि शिकायत में आरोपी के रूप में समन किया गया था। उन्होंने दो नवंबर, 2018 की शिकायत को भी रद्द करने की मांग की थी।
थरूर के वकील ने दलील दी थी कि निचली अदालत का आदेश कानून की दृष्टि से असंगत था और आपराधिक न्यायशास्त्र के स्थापित सिद्धांतों के खिलाफ था, क्योंकि उसने इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया था कि बब्बर की शिकायत ‘‘पूरी तरह से झूठी थी।
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अपनी शिकायत में बब्बर ने दावा किया था कि कांग्रेस नेता की टिप्पणियों से उनकी धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। थरूर ने अक्टूबर 2018 में कथित तौर पर दावा किया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक अज्ञात नेता ने प्रधानमंत्री मोदी की तुलना ‘‘शिवलिंग पर बैठे बिच्छू’’ से की थी और इसे एक ‘‘रूपक’’ बताया था।
शिकायतकर्ता ने कहा था, ‘‘मैं भगवान शिव का भक्त हूं...हालांकि, आरोपी (थरूर) ने करोड़ों शिव भक्तों की भावनाओं की पूरी तरह से अनदेखी की, (और) बयान दिया जिससे भारत में और देश के बाहर सभी शिव भक्तों की भावनाओं को ठेस पहुंची।’’
शिकायत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 (मानहानि) और 500 (मानहानि की सजा) के तहत दर्ज की गई थी। थरूर को जून 2019 में निचली अदालत ने मामले में जमानत दे दी थी।