इस माओवादी सांठगांठ मामले में 5 लोगों को कोर्ट ने दी ये सजा, पढ़ें पूरी डिटेल
असम में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालने की आपराधिक साजिश से जुड़े वर्ष 2011 के पीएलए-सीपीआई (माओवादी) सांठगांठ मामले में पांच लोगों को आठ-आठ साल की जेल की सजा सुनाई है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: असम में राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की एक विशेष अदालत ने देश की एकता, अखंडता, सुरक्षा और संप्रभुता को खतरे में डालने की आपराधिक साजिश से जुड़े वर्ष 2011 के पीएलए-सीपीआई (माओवादी) सांठगांठ मामले में पांच लोगों को आठ-आठ साल की जेल की सजा सुनाई है। एनआईए के एक प्रवक्ता ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि तीन दोषी-एन दिलीप सिंह (मणिपुर) और सेंजम धीरेन सिंह तथा आर्नल्ड सिंह (असम) प्रतिबंधित संगठन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के सदस्य थे, जबकि दो अन्य दोषी-इंद्रनील चंदा व अमित बागची (पश्चिम बंगाल) भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) यानी सीपीआई (माओवादी) से ताल्लुक रखते हैं।
प्रवक्ता ने बताया कि केंद्रीय जांच एजेंसी ने गुवाहाटी स्थित विशेष एनआईए अदालत में 21 मई 2012, 16 नवंबर 2012 और 31 जुलाई 2014 को मामले में तीन आरोपपत्र दाखिल किए थे।
प्रवक्ता ने कहा कि अदालत ने व्यापक सुनवाई के बाद बुधवार को मामले में पांचों आरोपियों को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की विभिन्न धाराओं के तहत दोषी ठहराया और उनकी सजा का एलान किया।
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एनआईए ने एक जुलाई 2011 को इस इनपुट पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया था कि पीएलए ने सीपीआई (माओवादी) के समर्थन से देश को अस्थिर करने की साजिश रची है।
प्रवक्ता के मुताबिक, सीपीआई (माओवादी) के नेताओं ने मणिपुर की एक अलग राष्ट्र के रूप में स्थापना करने के लिए पीएलए की अलगाववादी गतिविधियों को मान्यता और समर्थन देने की हामी भरी थी।
प्रवक्ता ने बताया कि बदले में पीएलए नेतत्व ने भारत की संवैधानिक रूप से निर्वाचित सरकार को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए सीपीआई (माओवादी) के जारी युद्ध का समर्थन करने का निर्णय लिया था।
प्रवक्ता के अनुसार, “जांच में पता चला था कि पीएलए ने कोलकाता में एक संपर्क कार्यालय खोला था, जहां पीएलए/आरपीएफ (रिवोल्यूशनरी पीपुल्स फ्रंट) और सीपीआई (माओवादी) के नेताओं के बीच एक बैठक हुई थी। इसमें भारत संघ के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए एकीकृत कार्रवाई करने के तौर-तरीकों पर चर्चा की गई थी।”
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एनआईए ने बताया कि “पीएलए/आरपीएफ प्रशिक्षकों द्वारा सीपीआई (माओवादी) के काडर को सैन्य प्रशिक्षण देने के लिए झारखंड में पीएलए/आरपीएफ और सीपीआई (माओवादी) नेतृत्व के बीच एक द्विदलीय बैठक भी आयोजित की गई थी।”
जांच एजेंसी ने कहा, “जांच के दौरान यह भी सामने आया कि पीएलए/आरपीएफ के स्वयंभू अध्यक्ष ने छह अप्रैल 2010 को सुरक्षा बलों पर हमला करने के लिए सीपीआई (माओवादी) के महासचिव की सराहना भी की थी। इस हमले में छत्तीसगढ़ में 76सीआरपीएफ का एक जवान मारा गया था।”
एनआईए ने बताया कि जांच से यह भी पता चला है कि पीएलए ने माओवादी काडर को रसद सहायता प्रदान की थी और दोनों समूह नियमित रूप से एक-दूसरे के संपर्क में थे और ई-मेल का आदान-प्रदान कर रहे थे।
जांच एजेंसी ने कहा, “आरोपियों ने देश के अंदर और बाहर कई जगहों की यात्राएं की थीं तथा फर्जी नामों से कई फर्जी पहचान पत्र बनाए थे और बैंक अकाउंट खोले थे।”