डीडीए ने सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट्स निर्माण में ‘खामी’ को लेकर शिकायत दर्ज करायी

डीएन ब्यूरो

दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर में सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के निर्माण में ‘‘खामी और कदाचार’’ के आरोपी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में शिकायत दर्ज कराई है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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नयी दिल्ली: दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) ने उत्तरी दिल्ली के मुखर्जी नगर में सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट के निर्माण में ‘‘खामी और कदाचार’’ के आरोपी अधिकारियों और ठेकेदारों के खिलाफ केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) में शिकायत दर्ज कराई है। राज निवास के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी।

उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने जनवरी में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही का आदेश दिया था।

डीडीए ने मामले में अधिकारियों की भूमिका का पता लगाने के लिए उपराज्यपाल के निर्देशों के बाद सतर्कता जांच भी की।

एक अधिकारी ने डाइनामाइट न्यूज़ से कहा, ‘‘डीडीए ने शीर्ष स्तर के 'भ्रष्टाचार और लापरवाही' के खिलाफ उपराज्यपाल के निर्देशों का पालन करते बड़े पैमाने पर कार्रवाई की है जिसने मुखर्जी नगर में संरचनात्मक रूप से क्षतिग्रस्त सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट में सैकड़ों लोगों की जान जोखिम में डाली। इसके तहत मामले में शामिल डीडीए अधिकारियों, ठेकेदारों/बिल्डरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए सीबीआई के पास शिकायत दर्ज कराई गई है।’’

यहां 2007-2009 में निर्मित परिसर में 336 एचआईजी/एमआईजी फ्लैट शामिल हैं।

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जनवरी में, सक्सेना ने ‘‘ठेकेदारों/बिल्डरों/निर्माण एजेंसियों के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की तत्काल शुरुआत करने और उक्त भवनों के निर्माण में चूक/कदाचार के लिए जिम्मेदार डीडीए अधिकारियों की पहचान करने और बाद में चूक करने वाले अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई करने का आदेश दिया।’’

अधिकारी ने कहा, ‘‘डीडीए ने सीबीआई से अनुरोध किया है कि ठेकेदारों ‘मैसर्स विनर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड और मेसर्स ग्रोवर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड, परीक्षण एजेंसियों - मेसर्स भारत टेस्ट हाउस और मेसर्स दिल्ली टेस्ट हाउस, डीडीए के सभी संबंधित अधिकारियों और अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात, जीवन को खतरे में डालने और दूसरों की सार्वजनिक सुरक्षा और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की जाए।’’

उन्होंने कहा कि आरोपी डीडीए अधिकारियों में इस अवधि के दौरान तीन अभियंता, छह मुख्य अभियंता, नौ अधीक्षण अभियंता, नौ कार्यकारी अभियंता, चार सहायक अभियंता और आठ कनिष्ठ अभियंता शामिल हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘‘सतर्कता जांच से यह बात सामने आयी है कि डीडीए अधिकारियों और बिल्डरों या ठेकेदारों के बीच 'मिलीभगत' की गई, जिसके परिणामस्वरूप 'निर्माण के दौरान गुणवत्ता और संरचनात्मक सुरक्षा से समझौता' किया गया, जिससे डीडीए को नुकसान हुआ और सैकड़ों निवासियों की जान और संपत्ति को नुकसान पहुंचा।’’

रिपोर्ट में कहा गया यह पाया गया कि अनुबंध और केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के नियमावली में उल्लिखित गुणवत्ता नियंत्रण के प्रावधानों को दरकिनार किया गया। नतीजतन, भवन के निर्माण के एक दशक से भी कम समय में निर्माण विफल हो गया।

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रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘यह भी पाया गया कि संरचना में कंक्रीट, अधिकांश स्थानों पर, अपेक्षा से कम ग्रेड की है। मौजूदा संरचना की कई मरम्मत के बावजूद, संरचनात्मक स्थिरता इस हद तक विफल रही है कि एक स्वतंत्र विशेषज्ञ ने इमारत को तत्काल खाली कराये जाने की बात कही है।’’

वर्ष 2011-2012 में निवासियों को आवंटित, इमारत में शीघ्र ही निर्माण संबंधी मुद्दे सामने आने लगे जिससे निवासियों को डीडीए से संपर्क करने के लिए मजबूर होना पड़ा। डीडीए के कहने पर आईआईटी-दिल्ली द्वारा 2021-2022 में किये गए एक अध्ययन में इमारत को संरचनात्मक रूप से असुरक्षित पाया गया। अध्ययन में इमारत को तुरंत 'खाली करने और तोड़े’ जाने की सिफारिश भी की गई।

उपराज्यपाल ने डीडीए को रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन के परामर्श से परिसर के लिए एक पुनर्विकास और पुनर्वास योजना तैयार करने का आदेश दिया है।










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