हत्या के आरोपी पुलिस कांस्टेबल की आजीवन कारावास की सजा दिल्ली उच्च न्यायालय ने की निरस्त

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में अपनी सर्विस रिवाल्वर से हत्या करने के आरोपी एक पुलिस कांस्टेबल की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया है।

दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल)
दिल्ली उच्च न्यायालय (फाइल)


नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2009 में अपनी सर्विस रिवाल्वर से हत्या करने के आरोपी एक पुलिस कांस्टेबल की दोषसिद्धि और आजीवन कारावास की सजा को रद्द कर दिया है।

पुलिसकर्मियों द्वारा हथियारों और गोला-बारूद के 'जारी करने, आगे बढ़ाने और वापस करने' को रिकॉर्ड में लाने में ‘व्यापक विसंगतियों’ को ध्यान में रखते हुए न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति पूनम ए बंबा की खंडपीठ ने कहा कि अभियोजन पक्ष अपने मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में असमर्थ रहा है।

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अदालत ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को पुलिस थानों में असलाह (हथियार) पंजी की विसंगतियों की पड़ताल भी करने को कहा।

अदालत का यह आदेश कांस्टेबल की ओर से मई 2019 के निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर आया, जिसमें उसे आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या का दोषी ठहराया गया था और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।

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अदालत ने कहा कि इस मामले में 'असलाह रजिस्टर पर भरोसा करना मुश्किल था'। अदालत ने निर्देश दिया कि अपीलकर्ता की आवश्यकता यदि किसी अन्य मामले में नहीं है, तो उसे रिहा किया जाए।

अदालत ने 10 अप्रैल को अपना आदेश सुनाया।










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