Delhi High Court: राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण से संबंधित कानून की वैधता बरकरार रखी
दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (एनएए) से संबंधित कानूनी प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखा।
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को राष्ट्रीय मुनाफाखोरी रोधी प्राधिकरण (NAA) से संबंधित कानूनी प्रावधानों की वैधता को बरकरार रखा।
यह फैसला कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा की पीठ ने फिलिप्स इंडिया, रेकिट बेंकिजर, जिलेट इंडिया और प्रॉक्टर एंड गैंबल होम प्रोडक्ट्स आदि सहित कई संस्थाओं की 100 से अधिक याचिकाओं वाले मामलों की सुनवाई के दौरान दिया था।
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अदालत ने कहा, ‘‘हमने (सीजीएसटी अधिनियम की) धारा 171 के साथ-साथ 2017 के (सीजीएसटी) नियमों के नियम 122, 124, 126, 127, 129, 133 और 134 की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखा है।’’
अदालत ने कहा कि धारा 171 में कहा गया है कि छोड़े गए कर को कीमत में आनुपातिक कमी के अनुरूप पारित किया जाना चाहिए और यह सार्वजनिक हित में शुरू किया गया एक उपभोक्ता कल्याणकारी उपाय है।
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डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार विचाराधीन नियम मुनाफाखोरी-रोधी प्राधिकरण की स्थापना और कार्यप्रणाली से संबंधित है। आदेश सुनाते समय अदालत ने कहा कि यह संभव है कि मुनाफाखोरी-रोधी तंत्र के तहत शक्ति के मनमाने ढंग से प्रयोग के मामले हो सकते हैं लेकिन इसका उपाय प्राधिकरण को ऐसे अधिकार प्रदान करने वाले प्रावधानों को खत्म करना नहीं है।
आदेश की विस्तृत प्रति की प्रतीक्षा है।