दिल्ली दंगे: आरोपियों की भूमिका की व्याख्या करने, साक्ष्य उपलब्ध कराने का पुलिस को निर्दश
दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पुलिस से कहा कि वह 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में कथित तौर पर एक पुलिसकर्मी पर बंदूक तानने वाले शाहरुख पठान और अन्य आरोपियों की भूमिका के विवरण के साथ एक चार्ट दाखिल करे।
नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पुलिस से कहा कि वह 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों के मामले में कथित तौर पर एक पुलिसकर्मी पर बंदूक तानने वाले शाहरुख पठान और अन्य आरोपियों की भूमिका के विवरण के साथ एक चार्ट दाखिल करे।
उच्च न्यायालय पठान की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने कहा, ‘‘विशेष लोक अभियोजक को निर्देश दिया जाता है कि वह याचिकाकर्ता सहित आरोपी व्यक्तियों की भूमिका और उनके समर्थन में उपलब्ध कराये गये सबूतों को दर्शाने वाला एक चार्ट दाखिल करे।’’
सुनवाई के दौरान, पठान के वकील ने कहा कि उसने जनवरी 2022 में जमानत याचिका दायर की थी और यह पिछले 15 महीनों से लंबित है तथा उनका मुवक्किल तीन साल से अधिक समय से हिरासत में है।
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वकील ने कहा कि गवाहों द्वारा पहचाने गये अन्य आरोपी जमानत पर रिहा किये जा चुके हैं, लेकिन पठान का न तो प्राथमिकी में नाम है और न ही किसी ने उसकी पहचान की है, फिर भी वह अब भी हिरासत में है।
उन्होंने दावा किया कि उनके मुवक्किल की कोई भूमिका नहीं बताई गई है और 'पूरा मामला एक मजाक के समान है'।
अभियोजक ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जेल में पठान के पास से एक मोबाइल मिला था और उसने जेल कर्मचारियों पर भी हमला किया था।
पठान ने मुकदमे में काफी विलंब होने के आधार जमानत का अनुरोध किया है। उसने दलील दी है कि हालांकि दिसंबर 2021 में मामले में आरोप तय कर दिये गए थे, लेकिन इस साल फरवरी तक अभियोजन पक्ष के केवल दो गवाहों की जांच की गई थी।
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दिल्ली पुलिस ने मार्च 2022 में दायर अपनी स्थिति रिपोर्ट में पठान की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा था कि उसका आपराधिक पारिवारिक इतिहास रहा है और वह गवाहों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।
यह मामला जाफराबाद में सशस्त्र भीड़ द्वारा दंगा करने, पुलिसकर्मियों को घायल करने और रोहित शुक्ला नाम के एक व्यक्ति को गोली मारने से संबंधित है।
पठान को तीन मार्च, 2020 को उत्तर प्रदेश के शामली जिले से गिरफ्तार किया गया था और वह फिलहाल एक स्थानीय जेल में बंद है।
चौबीस फरवरी, 2020 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में नये नागरिकता कानून समर्थकों और प्रदर्शनकारियों के बीच सांप्रदायिक झड़पें हुईं, जिसमें 53 लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे।