Delhi riots: न्यायालय का ताहिर हुसैन के खिलाफ धनशोधन के आरोप तय करने में दखल देने से इनकार
उच्चतम न्यायालय ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता ताहिर हुसैन के खिलाफ धनशोधन रोधी कानून के तहत आरोप तय करने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से सोमवार को इनकार कर दिया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों के सिलसिले में आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व नेता ताहिर हुसैन के खिलाफ धनशोधन रोधी कानून के तहत आरोप तय करने की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से सोमवार को इनकार कर दिया।
न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन और न्यायमूर्ति पंकज मित्थल की पीठ ने कहा कि आरोप तय करने के चरण में अदालत 'विवरण में नहीं जा सकती', जिसे बाद के चरण में देखा जाएगा।
पीठ ने कहा, “मामला धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आरोप तय करने के चरण में है। इसलिए हमें इस चरण में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नजर नहीं आता। यह स्पष्ट किया जाता है कि (निचली) अदालत इस अदालत द्वारा निर्धारित कानून का पालन करेगी।”
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शीर्ष अदालत दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ पूर्व पार्षद की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनकी याचिका को खारिज कर दिया गया था। याचिका में पीएमएलए की धारा-3 (धनशोधन का अपराध) और धारा-4 (धनशोधन के अपराध के लिए सजा) के तहत आरोप तय करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी।
आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाली वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने उच्च न्यायालय के फैसले का विरोध करते हुए कहा कि वर्तमान मामला धनशोधन का नहीं, बल्कि केवल 'जीएसटी अपराध' का है।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की शिकायत के अनुसार, हुसैन ने फर्जी बिल के आधार पर फर्जी प्रविष्टि ऑपरेटर के माध्यम से अपने स्वामित्व या नियंत्रण वाली कंपनियों के बैंक खातों से धोखे से पैसे निकाले।
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ईडी की शिकायत में आरोप लगाया गया है कि हुसैन काले धन का अंतिम लाभार्थी था और फरवरी 2020 में दंगों के दौरान आपराधिक साजिश के माध्यम से प्राप्त धन का उपयोग किया गया था।