Uttarakhand: उत्तराखंड में 11 सितंबर को सार्वजनिक अवकाश की मांग ने पकड़ा जोर

सुभाष रतूड़ी

उत्तराखंड में 11 सितंबर को सार्वजनिक अवकाश की मांग ने जोर पकड़ा हुआ है। इसके लिये मुख्मंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी पत्र लिखा गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

उत्तराखंड की ईष्ट देवी श्री नन्दा देवी (फाइल फोटो)
उत्तराखंड की ईष्ट देवी श्री नन्दा देवी (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: उत्तराखंड (Uttarakhand) में 11 सितंबर को सार्वजनिक अवकाश (Public Holyday) घोषित करने की मांग जोर पकड़ रही है। इस मांग को लेकर श्री नंदा देवी राजजात समिति (Shri Nanda Devi Raj Jat Committee) ने सरकार को एक पत्र लिखा है। समिति ने उत्तराखंड के राज्य पर्व नंदाअष्टमी (Shri Nanda Ashtami) के दिन सार्वजनिक अवकाश घोषित करने की मांग की है। 

श्री नन्दादेवी राजजात समिति के महामंत्री और प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता भुवन नोटियाल (Bhuvan Nautiyal) द्वारा उत्तराखंड सरकार को इस बाबत एक पत्र लिखा गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Chief Minister Pushkar Singh Dhami) को लिखे पत्र में कहा गया है कि राज्य की ईष्ट देवी श्री नंदा के पवित्र पर्व नंदाअष्टमी को राज्य पर्व के रूप में मनाया जाये और इस दिन पूरे राज्य में सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाये। 

प्रत्येक 12 साल में होता है नंदादेवी राजजात यात्रा का आयोजन

भुवन नोटियाल का कहना है कि इसी यानी नन्दाअष्टी के दिन ही भारत की संसद में उत्तराखंड राज्य का संकल्प पत्र प्रस्तुत किया गया। श्री नंदादेवी की पूजा का फल भी नन्दावृत वासियों को मिला और नंदादेवी राजजात यात्रा से लौटने के दो माह बाद ही उत्तराखंड के रूप में नये राज्य का सृजन भी हुआ। 

यह भी पढ़ें | देहरादून: उत्‍तराखंड में भारी बारिश से फटा बादल, कई मकान क्षतिग्रस्त

उनका कहना है कि राज्य निर्माण के बाद प्रथम वर्ष यानी 2001 में 26 जनवरी 2001 को दिल्ली के राजपथ पर ‘नन्दा देवी राजजात’ की झांकी से उत्तराखंड राज्य की प्रतिनिधित्व भी किया गया। 

श्री नोटियाल का कहना है कि उत्तराखंड में घोषित अब तक के सार्वजनिक अवकाशों की सूची में राष्ट्रीय स्तर के अवकाशों को छोड़कर राज्य के त्योहारों और पर्वों को पूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं मिल सका है, जो देवभूमि के लिये चिंतनीय है। ऐसे में पूरे राज्य की ईष्ट देवी नंदाष्टमी के पर्व 11 सितंबर पर सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाना चाहिये। 

समिति का कहना है कि इस मौके पर कई जनपदों में जिलाधिकारियों द्वारा स्थानीय स्तर पर दिया जाने वाला अवकाश काफी नहीं है। जहां नंदा अंष्टमी पर अवकाश नहीं होता, वहां विद्यालयों और सरकारी कार्यालयों में छात्र, शिक्षक और कर्मचारियों की उपस्थिति नंदाष्टमी की पूजा के कारण नगण्य रहती है।  

यह भी पढ़ें | उत्तराखंड में बारिश को लेकर हाई अलर्ट, इन आठ जिलों में फिर कहर बरपा सकती है बारिश

नन्दा देवी को पूरे उत्तराखंड में ईष्टदेवी के रूप में पूजा जाता है। श्री नन्दा देवी को उत्तराखंड में राजराजेश्वरी का सम्मान प्राप्त है। गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में नन्दा देवी के सैकड़ों मंदिर हैं। 

उत्तराखंड में नौंवी शताब्दी से लेकर अब तक प्रत्येक 12 साल की अवधि में नन्दा देवी राजजात यात्रा का भव्य आयोजन होता है। सैकड़ों मील लंबी यह पैदल यात्रा नौटी से शुरू होकर सुदूर हिमालयी बुग्याल में स्थित होमकुण्ड तक आयोजित होती है। इस यात्रा में गढ़वाल और कुमाऊं की 500 से अधिक अलग-अलग देवी देवताओं की छतोलियां व डोलियां शामिल होती है।

देवी नन्दा के अलावा चौसिंगिया खाडू इस यात्रा अभिन्न हिस्सा है। यह यात्रा राज्य और केंद्र सरकार द्वारा आयोजित की जाती है, जिसे सचल हिमालयी महाकुंभ भी कहा जाता है। इसमे देश-विदेश के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोग बड़ी संख्या में शामिल होते हैं।










संबंधित समाचार