संत कबीर नगर: ढढवा ताल हुआ अतिक्रमण का शिकार, चारों ओर गंदगी का अंबार, मछली उद्योग व कमलगट्टा कारोबार बंद
उत्तर प्रदेश के संत कबीर नगर जिले में धनघटा तहसील का ढढवा ताल अतिक्रमण का शिकार हो गया है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
संत कबीर नगर: जनपद में धनघटा तहसील के ढढवा ताल कभी पूरे क्षेत्र में मशहूर था लेकिन तंत्र की लापरवाही के कारण इस पर अतिक्रमणकारियों की नज़र पड़ गई और इसकी सीमाएं सिमट गई। यहां अब गंदगी का अंबार है और यह ताल सौंदर्यीकरण की राह तक रहा है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार धनघटा तहसील मुख्यालय से 500 मीटर की दूरी से बह रहा ढढवा ताल आज सौंदर्यीकरण की राह देख रहा है। इस पर अतिक्रमणकारियों की नज़र पड़ जाने के कारण इसका दायरा भी सिकुड़ गया है।
अतिक्रमण और गंदगी के कारण यहां का मछली उद्योग व कमलगट्टा का कारोबार बंद हो गया है जबकि यहां की मछलियां कभी बिहार तक के बाजारों में बिका करती थी। आज यह कारोबार पूरी तरह से बंदी की कगार पर पहुंच गया है।
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तहसील क्षेत्र का ढढवा ताल लगभग 1400 हेक्टेयर में फैला हुआ है। यह ताल रुस्तमपुर से निकलकर उमरिया होते हुए घाघरा नदी में जाकर समा जाता है। आज से दो दशक पूर्व कमल गट्टा दूर-दूर तक के बाजारों में बेचने के लिए व्यापारी ले जाते थे। तालाब की मछली बिहार तक के बाजारों में बिकने के लिए जाती थी। मछली पालन कर कुछ लोगो की भी रोज़ी रोटी चल रही थी जो अब बेरोजगारी की कगार पर पहुंच गए है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस ताल के सौंदर्यीकरण के लिए 2013 में पूर्व सांसद कुशल तिवारी ने केंद्रीय पर्यटन विभाग को प्रस्ताव भेजकर ताल के सौंदर्यीकरण करवाने का काम शुरू करवाया लेकिन इसी बीच सरकार बदल गई और उनकी कुर्सी छिन गई। जिसका परिणाम हुआ कि इस ताल के सुंदरीकरण का काम अधूरा रह गया।
शासन की लापरवाही के कारण अब इस ताल के बड़े हिस्से पर अतिक्रमण कर लिया गया है। जिस कारण इसका दायरा सिकुड़ गया है।
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इस संबंध में डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में तहसीलदार योगेंद्र पांडेय ने बताया कि ताल पर किये गये अतिक्रमण को मुक्त करवाने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा और ताल पर हो रहे अतिक्रमण को भी रोका जाएगा।