गर्भावस्था के दौरान डायबिटीज होने से मां और बच्चे को होते हैं नुकसान, जानें इसके लक्षण और बचाव
गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में कई तरह के बदलाव होते हैं। कई बार कुछ महिलाओं में ब्लड शुगर लेवल काफी बढ़ जाता है, इस स्थिति को गर्भकालीन डायबिटीज या गेस्टेशनल डायबिटीज कहा जाता है। इससे बच्चा और मां दोनों को कई तरह की परेशानी होती है। इसलिए जरूरी है कि इस समय मां के साथ बच्चे का भी खास ख्याल रखा जाए। पढ़ें डाइनामाइट न्यूज़ पर गर्भावस्था के दौरान शुगर के लक्षण और टेस्ट..
नई दिल्ली: गर्भकालीन मधुमेह एक ऐसी स्थिति है जिसमें प्रेगनेंसी में महिला के रक्त में शुगर का स्तर बढ़ जाता है। ऐसा लगभग 4% गर्भावस्थाओं में होता है। आमतौर पर गर्भावस्था के बाद के चरणों में इसका उपाय किया जाता है और अक्सर उन महिलाओं में होता है जिनको इससे पहले शुगर (डायबिटीज) नहीं होता है। मधुमेह गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल और अन्य परिवर्तन के कारण होता है। हमारा शरीर इन्सुलिन की मदद से भोजन को ऊर्जा में बदलता है। जब इंसुलिन का स्तर कम होता है, या शरीर प्रभावी ढंग से इंसुलिन का उपयोग नहीं कर पाता है, बल्ड में ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है।
डिलीवरी के समय नॉर्मल डिलीवरी और sigerian करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। गर्भकालीन मधुमेह का उपाय और इलाज जल्द से जल्द हो जाना चाहिए, क्योंकि इससे मां और बच्चे दोनों के लिए ही समस्या हो सकती है।
1. मोटे लोगों को वजन नियंत्रित करना चाहिए।
2. नियमित व्यायाम ग्लूकोज नियंत्रित करने में योगदान कर सकते हैं।
3. मधुमेह का उपचार उचित आहार द्वारा किया जा सकता है।
a. एक डाईटिशियन द्वारा डाईट प्लान बनवा लेना चाहिए।
b. दिनभर में थोड़ी थोड़ी मात्रा में भोजन करना (जैसे तीन समय भोजन और 2-4 बार नाश्ता) एक बार में अधिक भोजन करने से बेहतर होता है।
मधुमेह से ग्रस्त कई महिलाओं को अपने सामान्य आहार और फाइबर युक्त जटिल कार्बोहाइड्रेट की तुलना में कम कार्बोहाइड्रेट वाले भोजन करना होता है।
c. अधिक शुगरयुक्त खाद्य पदार्थों के सेवन को सीमित करना महत्वपूर्ण है। उच्च फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ जैसे ताजे फल और सब्ज़ियां, साथ ही साबुत अनाज (Sprouts) न केवल पोषक बल्कि ब्लड शुगर के लेवल को स्थिर रखने में मददगार होते हैं।
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प्रेग्नेंसी में शुगर के लक्षण :-
1. कभी-कभी प्यास अधिक लगना या बार बार मूत्र आने जैसे लक्षण इसके संकेत हो सकते हैं।
2. बहुत अधिक थकावट की शिकायत होना।
3. आपके परिवार में मधुमेह का इतिहास रह चुका है।
4. आपका पहला बच्चा मृत या किसी दोष के साथ पैदा हुआ था।
5. आपकी उम्र 30 वर्ष से अधिक है।
6. गर्भकालीन मधुमेह का ब्लड टेस्ट द्वारा उपाय किया जाता है।
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प्रेग्नेंसी में शुगर के टेस्ट :-
1. अधिकतर गर्भवती महिलाओं का टेस्ट गर्भावस्था के 24वें और 28वें सप्ताह के बीच किया जाता है। लेकिन आपको इससे ग्रस्त होने का जोखिम है तो आपके डॉक्टर गर्भावस्था की शुरुआत में ही इसका टेस्ट कर लेंगे।
2. ब्लड टेस्ट द्वारा इसकी पुष्टि की जा सकती है। स्क्रीनिंग टेस्ट में आपको मीठा पेय पदार्थ पिलाया जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि इससे एक घंटे बाद आपके रक्त में ग्लूकोज के स्तर का टेस्ट करने में मदद मिलती है। यदि स्क्रीनिंग टेस्ट सामान्य नहीं आता है तो आपको अतिरिक्त परीक्षण कराने की आवश्यकता हो सकती है।
3. ग्लाइकोसायलेटेड हीमोग्लोबिन या हीमोग्लोबिन ए1सी भी एक प्रकार का परीक्षण है। इस परीक्षण का उपयोग शुगर के रोगियों में लम्बे समय तक रक्त शर्करा का स्तर जांचने के लिए किया जाता है। हीमोग्लोबिन ए1सी का स्तर, पिछले कुछ महीनों के भी ब्लड ग्लूकोज के स्तर का औसत मापक है।