डिजिटल तकनीक दुनिया की इस लड़ाई को बना रही और ज्यादा जटिल, पढ़ें हर किसी से जुड़ी ये खास खबर

डीएन ब्यूरो

डिजिटल तकनीक सोशल मीडिया कंपनियों के लिए भ्रामक और गलत सूचनाओं के खिलाफ लड़ाई को और जटिल बना रही हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

माइक्रोसॉफ्ट के अनुसंधानकर्ता
माइक्रोसॉफ्ट के अनुसंधानकर्ता


ब्रिसबेन:  डिजिटल तकनीक सोशल मीडिया कंपनियों के लिए भ्रामक और गलत सूचनाओं के खिलाफ लड़ाई को और जटिल बना रही हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की को एक वीडियो में अपने लोगों से हथियार रखने और रूस के समक्ष आत्मसमर्पण करने के लिए कहते सुना जा सकता है। हालांकि जेलेंस्की ने तत्काल इस वीडियो को फर्जी बताकर खारिज कर दिया। यह कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा तैयार एक वीडियो बताया गया जिसमें जेलेंस्की की आवाज और हावभाव की नकल थी।

इस तरह की जालसाजी केवल एक छोटा सा उदाहरण मात्र है। इस तरह के एआई मॉडल बनाये जा रहे हैं जो ऑनलाइन श्रोताओं और दर्शकों को प्रभावी तरीके से धोखा दे सकते हैं, वहीं इन मॉडल द्वारा तैयार भ्रामक और धोखाधड़ी वाली सामग्री का पता लगाने के लिए भी मॉडल विकसित किये जा रहे हैं।

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एआई से साहित्यिक चोरी के बारे में बढ़ती चिंता के बीच ‘ग्रोवर’ नामक मॉडल विकसित किया गया है जो एआई द्वारा तैयार लेखों से मनुष्य द्वारा लिखे गए आलेखों का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है। जैसे-जैसे ऑनलाइन जालसाजी और भ्रामक सूचनाएं बढ़ती जा रही हैं, वैसे-वैसे सोशल मीडिया द्वारा इसके खिलाफ तैयार कवच उतरता जा रहा है।

जब से एलन मस्क ने ट्विटर को संभाला है, उन्होंने इसके ऑनलाइन सुरक्षा विभाग को समाप्त कर दिया है और परिणामस्वरूप फिर से भ्रामक सूचनाएं बढ़ती जा रही हैं। मस्क भी अन्य लोगों की तरह अपनी समस्याओं के समाधान के लिए तकनीकी समाधान के पक्षधर लगते हैं। उन्होंने ट्विटर के लिए एआई के उपयोग को बढ़ाने के संकेत दिये हैं।

माइक्रोसॉफ्ट के अनुसंधानकर्ता टार्लेटन गिलेस्पी ने कहा, ‘‘मानव समीक्षकों के लिए कम स्पष्ट या अधिक विवादास्पद पहचानों को छोड़कर, अधिकांश मामलों की पहचान करने के लिए स्वचालित उपकरणों का सबसे अच्छा उपयोग किया जाता है।’’

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मुख्य समस्या यही बनी हुई है कि प्रौद्योगिकी द्वारा किये गये समाधान परिपूर्ण नहीं हैं और गलतियों के परिणाम सामने आते हैं। अल्गोरिद्म कई बार नुकसानदेह सामग्री का तेजी से पता नहीं लगा सकता और इससे भ्रामक सूचनाओं का प्रसार बढ़ सकता है।

इस तरह के भी प्रश्न हैं कि क्या ये अल्गोरिद्म समाज की मदद कर रहे हैं या उसे नुकसान पहुंचाते हैं।

इन मॉडल से रचनात्मक ऐप की एक लहर सी आई है, लेकिन कलाकारों के कॉपीराइट के बारे में चिंताएं बनी हुई हैं। यदि सोशल मीडिया मंच एआई संचालित डिजिटल जालसाजी की दौड़ को आगे बढ़ाने से रोकना चाहते हैं, तो इन तेजी से शक्तिशाली हो रहे उपकरणों के प्रति उनके दृष्टिकोण में बारीकी और समझदारी की जरूरत है।










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