DN Exclusive: सिद्धार्थनगर में बर्खास्त फर्जी शिक्षकों के मामले में BSA भी दिख रहे लाचार, मुकदमा दर्ज नहीं करा पाए जिम्मेदार
सिद्धार्थनगर में फर्जी शिक्षकों की बर्खास्तगी के बाद बीएसए ने मुकदमा दर्ज कराने का आदेश दिया था लेकिन 6 महीने बाद भी मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सका है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
सिद्धार्थनगर: सिद्धार्थनगर जिले में शिक्षा विभाग में फर्जीवाड़ा की गंगा बह रही है और फर्जीवाड़े जैसे कई मामलों का बाढ़ आ गया है।नतीज़न कुछ दिनों में जरूर कुछ न कुछ ताजातरीन मामले उजागर हो रहें हैं।जिससे विभागीय महकमा बेहद हैरान है।
फर्जी डिग्री और दस्तावेजों पर काम कर रहे शिक्षकों की STF की जांच के बाद पोल खुल गई और विभागीय अधिकारियों ने फर्जी शिक्षकों की बर्खास्तगी का शतक पूरा कर लिया है। वहीं अभी कुछ लोगों के विकेट जाँच और मिली रिपोर्ट के बाद एक- एक करके गिराएं जा रहे हैं।लेकिन जिले में बैठे शिक्षा विभाग के अंपायर अभी भी न जाने किस वजहों से बर्खास्त चल रहे सात फर्जी शिक्षकों पर मुकदमा दर्ज नही करा पाएं है।
नही मिली छः ब्लॉक के सात बर्खास्त फर्जी शिक्षकों को उनकी खता की सजा,अबतक नही दर्ज हो सका मुकदमा
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परिषदीय स्कूलों में शिक्षक फर्जीवाड़ा बड़े पैमाने पर हुआ है। अब तक 121 फर्जी शिक्षकों की बर्खास्तगी हो चुकी है। 116 के खिलाफ विभिन्न थानों में मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है। पकड़े जाने के करीब छह माह बाद भी सात ऐसे शिक्षक हैं जिनके खिलाफ अभी तक जिम्मेदारों ने मुकदमा दर्ज नहीं कराया है।
जिन सात फर्जी शिक्षकों पर अभी तक मुकदमा दर्ज नहीं हो पाया उनमें बढ़नी ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय जियाभारी में कार्यरत रहे अरूण कुमार मिश्रा, शोहरतगढ़ ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय नवीन पकड़ी के रामललित, खेसरहा के प्राथमिक विद्यालय डोड़वार के गोरेलाल, भनवापुर ब्लाक के पूर्व माध्यमिक विद्यालय पिपरा गोसाई की महिला शिक्षक किरन, उसका बाजार ब्लाक क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय भढ़िया के शिक्षक सचिदानंद पांडेय, प्राथमिक विद्यालय ऊंटापार में तैनात रहीं पूनम जायसवाल और मिठवल ब्लाक के प्राथमिक विद्यालय के देवकी नंदन हैं।
इन सात फर्जी शिक्षकों के मामले में जब डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता ने BSA देवेंद्र पाण्डेय से बात की तो BSA ने बताया कि खंडशिक्षा अधिकारियों को निर्देश दे दिया गया है और तहरीर भी पड़ चुकी है।पुलिस है काम कर रही होगी।और विभागीय लोगों को भी उतना समय नही मिल पाता है कि हर वक्त जाकर अपडेट ले सकें।
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जब इन खंड शिक्षा अधिकारियों से बात करनी की कोशिश की गई तो इनका सीयूजी नंबर पहुंच से बाहर बता रहा है।