पीएम आवास योजना में गड़बड़ी को लेकर ईडी की छापेमारी, मनी लॉंन्ड्रिंग का केस दर्ज, आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त

डीएन ब्यूरो

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के निविदा आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच के तहत राज्य में छापे मारने के बाद “आपत्तिजनक” दस्तावेज जब्त किए। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

ईडी ने कई स्थानों पर की छापेमारी
ईडी ने कई स्थानों पर की छापेमारी


मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल ही में महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के निविदा आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच के तहत राज्य में छापे मारने के बाद “आपत्तिजनक” दस्तावेज जब्त किए।

संघीय जांच एजेंसी द्वारा हाल ही में औरंगाबाद, पुणे और अकोला में कुल नौ स्थानों पर तलाशी ली गई।

ईडी ने एक बयान में कहा कि धन शोधन का मामला राज्य पुलिस की एक प्राथमिकी से प्रकाश में आया है, जिसे औरंगाबाद नगर निगम द्वारा ‘समरथ कंस्ट्रक्शन एंड जेवी’, ‘इंडो ग्लोबल इंफ्रास्ट्रक्चर सर्विसेज’, ‘जगुआर ग्लोबल सर्विसेज’ और उनके संबंधित भागीदारों के खिलाफ औरंगाबाद में 40,000 पीएमएवाई आवास निर्माण के लिए नगर निकाय की निविदा गैरकानूनी तरीके से हासिल करने के वास्ते ‘जालसाजी और एक गिरोह (कार्टेल)’’ बनाने को लेकर दर्ज किया गया था।

पीएमएवाई योजना औरंगाबाद में सात भूखंडों/स्थलों पर लागू की जानी थी।

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एजेंसी ने कहा, “यह पाया गया कि तीनों ई-निविदाएं एक ही आईपी पते से अपलोड की गई थीं। पीएमएवाई नियामकों द्वारा इस विसंगति की पहचान करने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई थी कि निविदा हासिल करने वाली फर्म इतनी बड़ी परियोजना को लागू करने में वित्तीय रूप से सक्षम नहीं थी।”

ईडी ने कहा कि जांच में पाया गया कि तीन फर्मों ने एक ही आईपी पते से ई-निविदा के लिए आवेदन किया था।

ईडी ने पाया, “समरथ कंस्ट्रक्शन एंड जेवी को टेंडर आवंटित किया गया था, लेकिन 46.24 करोड़ रुपये की ‘परफॉर्मेंस बैंक गारंटी’ में से उन्होंने केवल 88.60 लाख रुपये की बैंक गारंटी जमा की थी।”

एजेंसी ने आरोप लगाया कि समरथ कंस्ट्रक्शन एंड जेवी ने नई निविदा प्रक्रिया के बिना, 19.22 हेक्टेयर से 120 हेक्टेयर के लिए प्रारंभिक निविदा का विस्तार करवाकर प्रक्रिया को “उलट” दिया।

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बयान में कहा गया है, “इस घोटाले में सरकारी सब्सिडी की राशि लगभग 1,000 करोड़ रुपये है।”

यह पाया गया कि ई-निविदा पाने से वंचित रह गए दो आवेदकों के मामले में, प्रमुख जेवी भागीदारों ने पूरी तरह से निविदा प्रक्रिया में अपनी भागीदारी से इनकार किया है और वे ‘एल1’ (सबसे कम बोली लगाने वाले) आवेदक के दस्तावेज जाली होने का दावा कर रहे हैं।

एजेंसी ने कहा, “ईडी ने आवेदक के पास से औरंगाबाद नगर पालिका की निविदा फाइल की नोट-शीट सहित कई आपत्तिजनक दस्तावेज जब्त किए हैं।”










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