Water Pollution: पीएम मोदी ने किया 'जल जन अभियान' कार्यक्रम को संबोधिता, यहां जानिये क्या-क्या कहा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल प्रदूषण का कारण बनने वाली हर विकृति को दूर करने का आह्वान करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि हमें देशवासियों में जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति फिर से पुरानी आस्था पैदा करनी होगी।
जयपुर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल प्रदूषण का कारण बनने वाली हर विकृति को दूर करने का आह्वान करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि हमें देशवासियों में जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति फिर से पुरानी आस्था पैदा करनी होगी।
उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल में जल संरक्षण जैसे कामों को लेकर लोगों की मानसिकता बदली है और 'नमामि गंगे' अभियान आज देश के विभिन्न राज्यों के लिए एक मॉडल बनकर उभर रहा है।
वह राजस्थान के आबूरोड में ब्रहमाकुमारीज संस्थान के 'जल जन अभियान' की शुरुआत कार्यक्रम को वर्चुअली संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘बीते दशकों में हमारे यहां एक ऐसी नकारात्मक सोच भी बन गई थी कि हम जल संरक्षण एवं पर्यावरण जैसे विषयों को मुश्किल मानकर छोड़ देते हैं। कुछ लोगों ने यह मान लिया था कि इतने बड़ा काम है कि इसे किया ही नहीं जा सकता। लेकिन बीते आठ नौ वर्षों में देश ने इस मानसिकता को भी बदल है और हालत भी बदले हैं।’’
उन्होंने नमामि गंगे को इसका एक सशक्त उदाहरण करार देते हुए कहा कि आज न केवल गंगा साफ हो रही है बल्कि उसकी तमाम सहायक नदियां भी स्वच्छ हो रही हैं। उनका कहना था कि गंगा के किनारे प्राकृतिक खेती जैसे अभियान भी शुरू हुए हैं तथा नमामि गंगे अभियान आज देश के विभिन्न राज्यों के लिए एक मॉडल बनकर उभर रहा है।
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प्रधानमंत्री ने कहा,‘‘जल जन अभियान ऐसे समय में शुरू हो रहा है जब पानी की कमी को पूरे विश्व में भविष्य के संकट के रूप में देखा जा रहा है। 21वीं सदी में दुनिया इस बात की गंभीरता को समझ रही है कि हमारी धरती के पास जल संसाधन कितने सीमित हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘ इतनी बड़ी आबादी के कारण जल सुरक्षा भारत के लिए भी एक महत्वपूर्ण दायित्व है । यह हम सब की साझी जिम्मेदारी है। इसलिए आजादी के अमृत काल में आज देश 'जल को कल' के रूप में देखेगा तभी आने वाला कल भी रहेगा और इसके लिए हमें मिलकर आज से ही प्रयास करने होंगे।’’
उन्होंने कहा कि उन्हें संतोष है कि जल संरक्षण के संकल्प को अब देश एक जन आंदोलन के रूप में आगे बढ़ा रहा है तथा ब्रह्माकुमारी के इस जल जन अभियान से जनभागीदारी के इन प्रयासों को नई ताकत मिलेगी।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘भारत के ऋषियों ने हजारों वर्ष पहले ही प्रकृति, पर्यावरण एवं पानी को लेकर संयमित, संतुलित एवं संवेदनशील व्यवस्था का सृजन किया था। हमारे यहां कहा गया है कि हम जल को नष्ट न करें, उसका संरक्षण करें। यह भावना हजारों वर्षों से हमारे आध्यात्म एवं धर्म का हिस्सा है। यह हमारे समाज की संस्कृति है हमारे सामाजिक चिंतन का केंद्र है। इसलिए हम जल को देव की संज्ञा देते हैं, नदियों को मां मानते हैं।’’
मोदी ने कहा, ‘‘ हमें देशवासियों में जल संरक्षण के मूल्यों के प्रति फिर से वैसी ही आस्था पैदा करनी होगी। हमें हर उस विकृति को भी दूर करना होगा जो जल प्रदूषण का कारण बनती है।’’
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मोदी ने कहा, ‘‘जल प्रदूषण की तरह ही गिरता भूजल स्तर पर भी देश के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। इसके लिए देश ने 'कैच द रेन' आंदोलन शुरू किया है जो अब तेजी से आगे बढ़ रहा है। देश की हजारों ग्राम पंचायतों में अटल भूजल योजना के जरिए भी जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जा रहा है।' उन्होंने देश के हर जिले में 75 अमृत सरोवर के निर्माण के अभियान को जल संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम बताया
उन्होंने श्री अन्न योजना का जिक्र करते हुए कहा कि मोटे अनाजों में पोषण भी भरपूर होता है और उनकी खेती में पानी भी कम लगता है इसलिए ज्यादा से ज्यादा लोग अपने भोजन में मोटे अनाजों को शामिल करें।
कार्यक्रम में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत भी मौजूद थे।