फाल्गुन मास शुरू, मौसम व हवा की बदली अबो-हवा, भगवान शिव व श्रीकृष्ण से जुड़ी है फाल्गुन मास की कहानी, जानिए क्या है महत्व
हिंन्दी संबत का अंतिम महीना फाल्गुन मास सोमवार से शुरू हो गया है। इससे हवा व मौसम की अबोहवा बदल गई है। इस मास में महाशिवरात्रि का व्रत रहकर कन्याएं भगवान शिव से सुयोग्य वर की कामना करती है। डाइनामाइट न्यूज़ पर जानिए क्या है फाल्गुन मास का महत्व
महराजगंजः हिन्दी संबत का अंतिम महीना फाल्गुन मास सोमवार से शुरू हो गया है। इस महीने में ऋतुराज बसंत आगमन से प्रकृति की सुन्दरता को चार चांद लगाते हैं। महाशिवरात्रि कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 18 फरवरी को मनेगी। इस दिन कन्याएं सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा अर्चना करेंगी।
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एकादशी व्रत के प्रताप से राम ने किया रावण का वध
आचार्य पंडित सच्चिदानंद शुक्ल के अनुसार फाल्गुन कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को विजया एकादशी मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन प्रभु श्रीराम ने व्रत रखा था। व्रत के प्रताप से भगवान राम ने रावण को परास्त किया था। फाल्गुनी अमावस्या का भी धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्व है। अमावस्या तिथि में दान-पुण्य विशेष फलदाई माना गया है। फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी मनाने का विधान है। इस एकादशी को रंगभरी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन उपवास करके भगवान विष्णु की पूजा रात्रि में की जाती है। प्रदोषकाल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
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शिव व कृष्ण है फाल्गुन मास के देवता
पंडित उदयराज मिश्र के अनुसार फाल्गुन मास के देवता एक ओर जहां कृष्ण है, तो दूसरी ओर भगवान शिव। कामदेव राग, रंग व कृष्ण आनंद और उल्लास के प्रतीक है। महाशिव रात्रि फाल्गुन माह में मनाया जाता है। यदि काम को शिव तत्व के साथ साधा जाए तो ही कृष्ण रूपी परमानंद की प्राप्ति होती है। कृष्ण हमें सीख देते हैं कि आनंद को वैराग्य की तरह भोगना चाहिए। जबकि शिव के जीवन का मूल मंत्र ही है कि वैराग्य में ही परमानंद है।