फाल्गुन में बदला मौसम का रूख, धूप व बदली के बीच गेहूं की फसलों पर तेज हुआ कीटों का हमला
फाल्गुन मास में मौसम के रूख में तेजी से परिवर्तन हुआ है। कृषि विशेषकों की मानें तो, कभी धूप और कभी बदली के बीच पत्ती लपेटक, सोडी कीट व माहूं कीटों का हमला तेज हो गया है। इसे लेकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं। डाइनामाइट न्यूज़ पर पढ़िये पूरी खबर
महराजगंजः फाल्गुन मास चढ़ते ही मौसम के मिजाज में काफी परिवर्तन आया है। पछुवा हवाओं के बीच सुबह को बदली, दोपहर में धूप और रात में कड़ाके की ठंड के दौर में गेहूं की फसल पर पत्ती लपेटक कीट, सोडी कीट और माहू कीटों का प्रकोप तेज हो गया है। इसे लेकर किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई है। किसानों ने बताया कि बड़े अरमान से साथ गेहूं की खेती है। सोचा था कि मौसम साथ देगा और उत्पादन बढ़ जाएगा, लेकिन मौसम ने उनके अरमानों पर पानी फेर दिया है।
जिले के 1,49 हेक्टेयर खेत में हुई गेहूं की खेती
जिले में 1,49 हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की खेती की गई है। इनमें 70 फीसदी गेहूं 2967 प्रजाति की बोई गई है। जबकि 30 फीसदी खेत में डीबी डब्ल्यू 187 प्रजाति, 550 प्रजाति व 3068 सहित अन्य कई प्रजातियों की गेहूं की खेती की गई है। नवंबर माह में जिन किसानों ने गेहूं की बुआई किए हैं। उनकी फसलें रेड़ा अवस्था में आनी शुरू हो गई है। जबकि जिसने देर प्रजाति के गेहूं की बुआई किए हैं उनकी फसलों की बढ़वार अभी काफी कम हुई है।
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इन दवाओं की छिड़काव होगी रोकथाम
गेहूं की फसल पर कीटों का प्रकोप तेज हो गया है। कभी धूप, तो कभी बदली छाए रहने से पत्ती लपेटक कीट, सोडी कीटों के संख्या में तेजी से वृद्वि हुई है। यह कीट गेहूं की फसल के लिए काफी नुकसानदायक साबित हो रहे है। कृषि वैज्ञानिक डाक्टर आरपी रघुवंशी के अनुसार इन कीटों पर नियंत्रण के लिए क्लोरोपारीफास 50 प्रतिशत ईसी 500 एमएल प्रति एकड़ व लिमिडासायलेथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी 500 एमएल प्रति एकड़ अथवा ईमामेक्टिन 5 प्रतिशत एसजी 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से गेहूं की फसल में छिड़काव करें।
2967 प्रजाति के गेहूं पर पड़ेगा असर
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के जिला सलाहकार डाक्टर ताहिर अली ने बताया कि मौसम के परिवर्तन से खासकर 2967 प्रजाति के गेहू पर कीटों के प्रकोप का खास असर पड़ेगा। अगेती गेहूं की बुआई वाले फसलों में बालियां निकलनी भी शुरू हो गई है। इन पर सोडी कीट, पत्ती लपेटक कीट व माहूं कीटों का हमला तेज होने का डर है।
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