Ghaziabad By Poll: गाजियाबाद उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबला, जाने क्या है जनता के मुद्दे
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर यूपी चुनाव 2022 में जीत दर्ज की थी। इस बार गाजियाबाद विधानसभा सीट के परिणाम किस तरफ जाएगा इसको लेकर तमाम राजनीतिक दलों की ओर से उपचुनाव को लेकर तैयारियां की जा रही हैं। देखिये डाइनामाइट न्यूज़ की ग्राउंड रिपोर्ट
गाजियाबाद: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद विधानसभा सीट पर 13 नवंबर को वोट डाले जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी ने इस सीट पर यूपी चुनाव 2022 में जीत दर्ज की थी। इस बार गाजियाबाद विधानसभा सीट के परिणाम किस तरफ जाएगा, इसको लेकर तैयारी की जा रही है।
तमाम राजनीतिक दलों की ओर से उपचुनाव को लेकर तैयारियां की जा रही हैं। पार्टियों की ओर से उम्मीदवारों का ऐलान किया गया है। नामांकन के आखिरी दिन उम्मीदवार पहुंच कर नामांकन कर रहे हैं। इस सीट पर मतदान के बाद वोटों की गिनती 23 नंवबर को होगी। इस दिन रिजल्ट जारी किया जाएगा। सपा ने सिंहराज जाटव के जरिए बसपा के दलित वोट बैंक पर निशाना साधा है।
प्रमुख दलों ने घोषित किए उम्मीदवार
भाजपा ने नामांकन प्रक्रिया समाप्त होने से एक दिन पहले उम्मीदवार का नाम घोषित किया गया। भाजपा ने 17 सालों से पार्टी के लिए काम करने वाले संजीव शर्मा को टिकट दिया गया है। वहीं, समाजवादी पार्टी ने सिंहराज जाटव को उम्मीदवार बनाया है। पहले यहां से कांग्रेस को टिकट दिए जाने की चर्चा हो रही थी। बसपा ने परमानंद गर्ग को चुनावी मैदान में उतारा। उन्होंने नामांकन भी दाखिल कर दिया गया है।
जातीय समीकरणों को साधने का प्रयास
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विधानसभा उपचुनाव में अब कांटे की टक्कर होने की संभावना है। भाजपा ने संजीव शर्मा के जरिए ब्राह्मण वोट बैंक को साधा है। वहीं, सपा-कांग्रेस के गठबंधन के बाद कांग्रेस के वोटरों के अलावा बसपा का वोटबैंक में से सिंहराज जाटव की तरफ जा सकता है। बसपा ने इस बार वैश्य समाज के प्रत्याशी को टिकट दिया है। इससे भाजपा का कोर वोटबैंक वैश्य समाज का वोट कुछ हद तक बंट सकता है।
बसपा प्रत्याशी परमानंद गर्ग किस प्रकार चुनाव लड़ते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अगर परमानंद गर्ग वैश्य समाज का वोट काटने में सफल हो जाते है तो इसका असर बीजेपी पर पड़ना तय माना जा रहा है। खास बात यह है कि बीजेपी ने इस बार टिकट वैश्य समाज के बजाय ब्राहमण समाज के प्रत्याशी को टिकट दिया है।
यह है रणनीति
परमानंद गर्ग के जरिए वैश्य समाज के वोटरों पर भी असर पड़ सकता है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि सपा के पास मुस्लिम और यादव वोटर पहले से ही है। ऐसे में अब दलित कार्ड खेलकर दलित वोटरों को भी अपनी तरफ किए जाने का प्रयास किया है। यूपी विधानसभा चुनाव 2022 में गाजियाबाद में कुल 61.37 प्रतिशत वोट पड़े थे। भारतीय जनता पार्टी के अतुल गर्ग ने समाजवादी पार्टी के विशाल वर्मा को 1,05,537 वोटों के अंतर से हराया था।
गाजियाबाद शहर सीट का जातीय समीकरण
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गाजियाबाद विधानसभा सीट से अब तक भारतीय जनता पार्टी ने 6 बार चुनावों में जीत दर्ज की है। वहीं, कांग्रेस को चार बार सफलता मिली है। वर्ष 1977 के बाद से हुए चुनाव में भाजपा इस सीट पर पकड़ बनती दिखी है। बहुजन समाज पार्टी ने एक बार इस सीट पर कब्जा जमाया है। इस बार के चुनाव में मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार हैं। गाजियाबाद सीट पर तमाम दल अपना जातीय समीकरण साधने का प्रयास कर रहे हैं। भाजपा ब्राह्मण चेहरे के सहारे जीत की आस में है। वहीं, अखिलेश यादव ने पीडीए समीकरण के तहत दलित उम्मीदवार पर दांव लगाया है। बसपा वैश्य वोटरों को साधने की कोशिश में है।
गाजियाबाद विधानसभा सीट पर दलित और मुस्लिम मिलकर हार-जीत तय करते हैं। इस सीट पर दलित और मुस्लिम वोटरों की संख्या एक लाख से अधिक है। विजयनगर समेत कुछ इलाकों में दलित वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है। वहीं, कैलाभट्ट, चमन कॉलोनी, मिर्जापुर मुस्लिम बहुल इलाके हैं। 2012 में बसपा को दलित-मुस्लिम के साथ आने का फायदा मिला था। इस सीट पर दलित वोटरों की संख्या करीब 75 हजार है।
इसको देखते हुए समाजवादी पार्टी ने सिंहराज जाटव के जरिए इस वर्ग को साधने की कोशिश की है। गाजियाबाद शहर सीट पर 50 हजार से अधिक ब्राह्मण वोटर हैं। वैश्य वोटरों की संख्या करीब 35 हजार है। इनके अलावा यहां ठाकुर वोटर 25 हजार, पंजाबी वोटर 12 हजार, यादव वोटर 11 हजार हैं। ये विधानसभा चुनाव में जीत के समीकरण तय करते हैं।