गोरखपुर: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ने कर दिखाया कारनामा, सालों पुरानी जटिल बीमारी को किया ठीक
यूपी के गोरखपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के डॉक्टरों ने जटिल बीमारी का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट
गोरखपुर: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, गोरखपुर के दंत शल्य विभाग ने एक जटिल सर्जरी को अंजाम दिया है। गोरखपुर निवासी किशोरी के पिछले 10 वर्ष मुँह ना खुलने, चेहरे की विकृति एवं नींद मैं थोड़ी-थोड़ी देर के लिए साँस रुकने के समस्या से ग्रसित थी।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार किशोरी के पिता बहुत सारे डॉक्टरो एवं अस्पतालों को दिखाने के बाद भी जब समस्या बढ़ती चली गयी , तब गोरखपुर एम्स के दंत रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर एवं मैक्सिलोफ़ेशियल सर्जन डॉ. शैलेश कुमार को दिखाया। मरीज़ की गहन जाँच तथा स्कैन के बाद ये पता चला की मरीज़ एक जटील किस्म की समस्या से ग्रसित है। मरीज़ के खोपड़ी की हड्डी निचले जबड़े की हड्डी से पूरी तरहसे जुड़ गई थी। जिसकी वजह से पिछले 10 वर्षों से मरीज़ मुँह ना खुलने की वजह से सिर्फ़ तरल खाने पर निर्भर था , जिसके कारण मरीज़ का स्वास्थ्य भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा था।
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ऑपरेशन के दौरान चेहरे की नशों को बचाते हुए (एंकिलोज्ड मास) हड्डी का टुकड़ा निकाला गया और हड्डी दुबारा खोपड़ी से जुड़ न जाए , इसके लिए मरीज के सिर के अंदर से मास के कुछ हिस्से को काट कर जबड़े के ज्वाइंट में डाला गया। इस प्रक्रिया को इंटर पोजीशनल आर्थोप्लास्टि कहते हैं।
एम्स निदेशक एवं सीईओ डॉ (प्रो) जी के पॉल को दंत शल्य विभाग द्वारा मरीज़ की समस्या की जानकारी दी गई । ऐम्स निदेशक के निर्देश पर इस ऑपरेशन की तैयारी शुरू की गई । मरीज़ की बेहोशी जाँच निश्चेतना विभाग के विभागाध्यक्ष डा वर्धन सेठ एवं एसोसिएट प्रोफेसर डा अंकिता काबी द्वारा किया।
मैक्सिलोफ़ेशियल सर्जन डॉ शैलेश ने बताया की ऐसे मरीज़ों में बेहोशी की प्रक्रिया बहुत ही जटिल होती है , जिसके लिए विशेष उपकरण और बहुत तैयारी की ज़रूरत होती है।
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इस ऑपरेशन में पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डाo सुबोध ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। मरीज़ की सर्जरी पूर्ण बेहोशी में दंत रोग विभाग के असिस्टेंट प्रोफ़ेसर एवं ओरल एंड मैक्सिलोफ़ेशल सर्जन डाo शैलेश कुमार द्वारा किया गया । टीम द्वारा 5 घंटो तक चली मुश्किल सर्जरी पूरी तरह से सफल रही । ऑपरेशन के बाद मरीज़ को डॉ अंकिता काबी की निगरानी में रातभर रखा गया।