हमीरपुर: किसानों ने लगाया सिंचाई व नमी संरक्षण के नाम पर निर्मित चेकडैमों के नाम पर धोखा करने का आरोप, जानें पूरा मामला

डीएन संवाददाता

यूपी के हमीरपुर में किसानों ने सिंचाई व नमी संरक्षण के नाम पर निर्मित चेकडैमों में घटिया सामग्री लगाकर घोखा करने का आरोप लगाया है। किसानों का कहना है कि उन्हें अभी तक बिलकुल पानी नहीं मिला है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की पूरी रिपोर्ट

मौके पर मौजूद किसान
मौके पर मौजूद किसान


हमरीपुर: जनपद के किसानों ने अनुसार घटिया निर्माण सामग्री लगाकर लघु सिचाई विभाग किसानों के साथ कई सालों से धोखा कर रहा है। नमी संरक्षण होना तो दूर कुछ दिन बाद चेकडैम नष्ट हो रहे हैं। करोड़ो रुपये के चेकडैम हर साल बनाये व रिपेयर किए जाते हैं मगर किसानों को उससे रत्ती भर लाभ नहीं मिल रहा है। बरसात में पानी भरना तो दूर नीचे एक बूंद पानी नहीं रहता है।

जानकारी के मुताबिक एक तरफ जहां प्रदेश सरकार का लघु सिंचाई विभाग भूजल सप्ताह का आयोजन करके जल संचयन पर करोड़ों खर्च करके जल संचयन और भूगर्भ जल स्तर बढ़ाने को प्रयासरत है वहीं क्षेत्र में लघु सिंचाई विभाग द्वारा करोड़ों का बजट खर्च कर नए चेकडैम रिपेयरिंग कराये गये हैं, मगर ज्यादातर चेकडैम समय से पहले ध्वस्त हो गये हैं। 

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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार हमीरपुर जिले के किसानों को अतिरिक्त सिचाई व जल संरक्षण जल संचयन एवं जल संवर्धन को लेकर सरकार की मुख्यमंत्री लघु सिचाई योजना के तहत जनपद में 6.44 करोड़ की लागत से 13 नये व 36 पुराने चेकडेमो को रिपेयर कराया गया है। जिसका मुख्य उद्देश किसानों की खेती अतिरिक्त सिंचित हो सके, वहीं विभाग का मानना है कि एक चेकडैम में एक किलोमीटर तक पानी का जल भराव और बीस हेक्टेयर ज़मीन सिंचित होगी। इसमें बीस हज़ार घनमीटर के भंडारण की क्षमता होगी। इस उद्देश्य के साथ विभाग ने चौकडैमो का निर्माण करवाया है लेकिन यहाँ चेकडेमो का ये हाल है कि ना ही पानी का जल भराव है ना ही जल संरक्षण हो रहा है। 

किसानों ने कहा कि चेकडैम पानी रोकने की क्रस्टवाल कम से कम दो मीटर 70 सेंटीमीटर चौड़ी होनी चाहिये, नीचे की रिंग वाल 1 मीटर बीस सेंटीमीटर होना चाहिये। वहीं नीचे से आकर दीवार मजबूत बनाये जाने का प्राविधान है मगर सभी चेकडैम मानक के अनुरुप तो दूर रिंग वाल केवल डेढ़ फुट की बनायी जा रही है। जिससे सभी चेकडैम ध्वस्त हो रहे हैं। यही नहीं एक की लाइफ कम से कम अभिलेखो में पांच साल होना चाहिये इसके बाद उसकी रिपेयरिंग की जाती है। 

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