Happy Eid-ul-Fitr 2025: ईद और चांद का है गहरा नाता, जानिये चांद के बाद ही क्यों मनाई जाती है ईद?
ईद और चांद का रिश्ता बेहद खास है। जब भी ईद का चांद नजर आता है तो यह सिर्फ अगले दिन के उत्सव का संकेत नहीं, बल्कि यह पूरे महीने की इबादत, संयम और आत्मशुद्धि का इनाम भी होता है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज की रिपोर्ट में कि आखिर चांद देखने के बाद ही क्यो ईद मनाई जाती है

नई दिल्ली: ईद का त्योहार खुशियों और भाईचारे का प्रतीक माना जाता है। जब भी ईद की चर्चा होती है, तो मीठी सेवइयों और दावतों का जिक्र जरूर होता है। लेकिन इन सबसे पहले जो सबसे महत्वपूर्ण चीज़ होती है, वह है ईद का चांद। रमज़ान के पूरे 30 रोज़ों के बाद जब चांद नजर आता है, तभी ईद मनाई जाती है।
यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार ईद उल-फितर का निर्धारण चंद्रमा को देखने पर ही किया जाता है।
साल में दो बार मनाई जाती है ई
1. ईद उल-फितर: इसे सिर्फ़ “ईद” भी कहा जाता है और यह रमज़ान के महीने के खत्म होने पर मनाई जाती है।
2. ईद उल-अज़हा (बकरीद): इसे “कुर्बानी वाली ईद” भी कहा जाता है और यह इस्लामिक कैलेंडर के 12वें महीने जिलहिज्जा में मनाई जाती है।
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इस साल कब मनाई जाएगी ईद?
- इस साल ईद उल-फितर 31 मार्च (सोमवार) को मनाई जाएगी। इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, मस्जिदों में नमाज अदा करते हैं। एक-दूसरे को तोहफे देते हैं और स्वादिष्ट पकवानों के साथ त्योहार का जश्न मनाते हैं।
- ईद पर आपसी संबंधों को मजबूत करने की परंपरा
- ईद सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आपसी रिश्तों को और गहरा करने का भी दिन है। इस दिन लोग पुराने गिले-शिकवे भुलाकर एक-दूसरे के गले मिलते हैं और खुशी जाहिर करते हैं। ईद की सुबह लोग विशेष नमाज अदा करते हैं और अल्लाह का शुक्र अदा करते हैं कि उन्होंने पूरे महीने रोज़े रखने की ताकत दी।
ईद और चांद का आपसी संबंध क्या है?
- ईद का सीधा संबंध इस्लामिक कैलेंडर हिजरी संवत से है, जो पूरी तरह से चंद्रमा की गति पर आधारित होता है। यह कैलेंडर अंग्रेजी कैलेंडर की तुलना में करीब 10-12 दिन छोटा होता है।
- इस्लामिक कैलेंडर का 9वां महीना रमज़ान होता है, जिसमें रोज़े रखे जाते हैं।
- जब यह महीना समाप्त होता है और 10वें महीने शव्वाल का चांद नजर आता है, तभी ईद मनाई जाती है।
- अगर चांद नजर नहीं आता है, तो माना जाता है कि रमज़ान का महीना अभी पूरा नहीं हुआ और ईद एक दिन बाद मनाई जाती है।
हिजरी कैलेंडर की शुरुआत कैसे हुई?
हिजरी कैलेंडर की शुरुआत इस्लाम के एक ऐतिहासिक घटना से जुड़ी हुई है। जब हजरत मुहम्मद (सल्ल.) ने मक्का से मदीना की ओर हिजरत (प्रवास) किया, तब से इस्लामी कैलेंडर की गिनती शुरू हुई। चूंकि यह कैलेंडर पूरी तरह चंद्रमा की गति पर आधारित है, इसलिए इसके महीनों की शुरुआत और समाप्ति नए चांद के दिखने पर निर्भर करती है।
ईद का चांद सबसे पहले कहां दिखाई देता है?
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ईद का चांद सबसे पहले सऊदी अरब में नजर आता है। चूंकि सऊदी अरब इस्लामी दुनिया का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, इसलिए कई मुस्लिम देश वहां घोषित ईद की तारीख को ही मानते हैं। सऊदी अरब में चांद दिखने के बाद अगली सुबह ईद मनाई जाती है। भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश जैसे देशों में सऊदी अरब की तुलना में एक दिन बाद ईद मनाई जाती है, क्योंकि यहां चांद देर से नजर आता है। वहीं कुछ देशों में जैसे ईरान में, शिया समुदाय की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार वहां की सरकार ईद की तारीख तय करती है।
ईद सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक संदेश
ईद केवल एक उत्सव नहीं बल्कि यह समाज में भाईचारे, प्रेम और सद्भावना को बढ़ावा देने का अवसर भी है। इस दिन अमीर-गरीब, छोटे-बड़े, सभी लोग साथ मिलकर ईद की खुशियां बांटते हैं।
ईद की खास परंपराएं
रोजे के बाद पहला दिन: 30 दिनों के रोजों के बाद जब ईद आती है, तो यह खुशी और आभार प्रकट करने का दिन होता है।
फित्रा देना: ईद की नमाज से पहले गरीबों और जरूरतमंदों को फित्रा (दान) दिया जाता है ताकि वे भी इस खुशी में शामिल हो सकें।
नमाज अदा करना: ईद की सुबह खास नमाज पढ़ी जाती है और अल्लाह का शुक्रिया अदा किया जाता है।
सेवईं और पकवान: ईद के दिन घरों में तरह-तरह के व्यंजन बनाए जाते हैं, खासतौर पर मीठी सेवइयां।
रिश्तों को मजबूत करना: लोग एक-दूसरे के घर जाकर ईद की बधाइयां देते हैं और आपसी मतभेद भुलाकर रिश्तों को नई शुरुआत देते हैं।