DN Exclusive बलरामपुर: हथियारों के बल पर रोड यूजर्स से अवैध टैक्स वसूली, प्रशासन ने मूंदी आंखें
जिले में अवैध टैक्सी स्टैंड के नाम पर वसूली का खेल एक बार फिर शुरू हो गया है। शाम होते ही नेशनल हाइवे पर हथियारों के बल पर रोड यूजर्स से अवैध रूप से वसूली शुरू हो जाती है। डाइनामाइट न्यूज़ ने जब इस संबंध में जिम्मेदार अधिकारी से बात की तो उन्होंने भी पल्ला झाड़ दिया, जिससे साबित होता होता है कि इस वसूली को संभवत: अधिकारियों का सरंक्षण प्राप्त है। एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
बलरामपुर: जिले में अवैध टैक्सी स्टैंड के नाम पर अवैध वसूली का खेल एक बार फिर शुरू हो गया है। शाम होते ही नेशनल हाइवे पर अवैध रूप से वसूली का कारोबार शुरू हो जाता है। बता दें भाजपा जिलाध्यक्ष राकेश सिंह ने डीएम को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि टैक्सी स्टैंड संचालक द्वारा अवैध रूप से वाहनों से वसूली की जा रही है। जिस पर डीएम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए एनएच पर टैक्सी स्टैंड की वसूली पर रोक लगाने का आदेश ईओ नगर पालिका को दिया था। लेकिन कुछ दिन बंद रहने के बाद एक बार फिर अवैध वसूली का कारोबार जमकर शुरू हुआ।
भाजपा नेता का पत्र भी काम न आया
इस मामले में सांठ-गांठ और रसूख के आगे भाजपा जिलाध्यक्ष राकेश सिंह का पत्र भी बहुत दिनों तक काम नहीं आया। चंद दिनों तक वसूली बंद होने के बाद एक बार फिर दोगुनी रफ्तार से टैक्सी स्टैंड पर अवैध वसूली शुरू हो गया है। जिससे रोड यूजर्स में भारी आक्रोश है।
यह भी पढ़ें |
Road Accident in UP: महंगी कार वाहन और टेंपो के बीच जबरदस्त टक्कर, दो की मौत
हथियारों के बल पर वसूली का खेल
डीएम को अवैध वसूली के विरूद्ध लिखे पत्र में बीजेपी जिलाध्यक्ष ने आरोप लगाया था कि वाहन अड्डा के ठेकेदार द्वारा नगर पालिका क्षेत्र से बाहर नहरिया व अम्बेडकर तिराहे से आगे सभी प्रकार के वाहनों से बेरोकटोक अवैध वसूली की जा रही है। ये वसूली बीच सड़क पर मानकों की अनदेखी कर हथियारों के बल पर की जा रही है। असलहे दिखाकर लोगो को भयभीत कर उनसे जबरन वसूली हो रही है।
यह भी पढ़ें |
बलरामपुर: टैक्सी स्टैंड पर अवैध वसूली का खेल जोरो पर, ठेकेदार के खिलाफ कार्यवाई करने के निर्देश
जब अधिकारी ने झाड़ा पल्ला
अधिशासी अधिकारी राकेश जायसवाल ने अवैध टैक्स की वसूली को लेकर डाइनामाइट न्यूज़ के सवाल के जबाब में कन्नी काटते हुए गोल मोल जबाब देकर अपना पल्ला झाड़ लिया।
अधिषाशी अधिकारी किसी भी सवाल का जवाब देने कतराते रहे और उल्टा नियम-कानून का पाठ पढ़ाने ने लगे।
इस प्रकरण यह प्रतीत होता है कि यह पूरा खेल अधिकारियों के संरक्षण संचालित हो रहा है।