उत्तराखंड में बाघिन के पेट में फंसे तार को निकालने की कोशिश अंतिम चरण में
उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में तराई पूर्वी वन प्रभाग की सुरई रेंज में पिछले एक साल से वैज्ञानिकों की निगरानी में रह रही करीब 10 वर्षीय बाघिन के पेट के पिछले हिस्से में फंसे तार को निकालने की कोशिश अंतिम पड़ाव पर पहुंच गयी है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
ऋषिकेश: उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में तराई पूर्वी वन प्रभाग की सुरई रेंज में पिछले एक साल से वैज्ञानिकों की निगरानी में रह रही करीब 10 वर्षीय बाघिन के पेट के पिछले हिस्से में फंसे तार को निकालने की कोशिश अंतिम पड़ाव पर पहुंच गयी है।
तराई पूर्वी के प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) संदीप गुप्ता ने यह जानकारी देते हुए कहा कि बाघिन का बचाव करने के लिए उसके आवागमन वाले वन क्षेत्र में दो पिंजरे लगा दिये गये हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक गुप्ता ने बताया कि इस कार्य को करने के लिए एक पांच सदस्यीय टीम गठित कर दी है। उन्होंने बताया कि इसमें उप प्रभागीय वनाधिकारी संचिता वर्मा के अलावा एक पशु चिकित्सक व एक वन्यजीव वैज्ञानिक भी शामिल हैं जो मौके पर निर्णय लेंगे कि जानवर को बेहोश करना है या पिंजरे में कैद करना है। आसपास के वन क्षेत्र में 35 कैमरा ट्रैप (निगरानी के लिए लगाए गए कैमरे) लगे हैं।
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वन अधिकारी ने बताया कि जनवरी 2023 में जंगल में गश्ती दल को यह बाघिन दिखी थी और उसके पिछले पांव से पहले पेट में तार का फंदा लिपटा हुआ था।
गश्ती दल द्वारा इस संबंध में उच्चाधिकारियों को सूचित करने के बाद मौके पर कैमरा ट्रैप लगाए गए और 35 में से 26 कैमरा ट्रैप ने बाघिन की नियमित तस्वीर खींची।
बाघिन की निगरानी की रिपोर्ट उत्तराखंड वन्यजीव प्रतिपालक और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण को भेजी गयी जिस पर संयुक्त टीम का गठन हुआ और जानवर को पकड़ने की कार्रवाई शुरू की गयी।
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वन प्रभाग की सुरई रेंज, नेपाल व उत्तर प्रदेश के पीलीभीत टाइगर रिजर्व की महोफ रेंज के सेमल कुआं वन क्षेत्र से लगी हुई है और कभी-कभी यह बाघिन वहां भी जाती रही है। तराई पूर्वी वन प्रभाग की सुरई रेंज की सौ फुटी फायर लाइन पर लगे कैमरा ट्रैप में यह बाघिन इस महीने की एक और दो तारीख को भी देखी गयी थी।