Indian Economy: जानिये कैसी रहेगी भारतीय अर्थव्यवस्था, पढ़िये नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार की ये भविष्यवाणी
नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि पिछले आठ साल के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार के सुधारों के कारण भारत ऊंची वृद्धि दर की राह पर बना रहेगा। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नई दिल्ली: नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा है कि पिछले आठ साल के दौरान नरेंद्र मोदी सरकार के सुधारों के कारण भारत ऊंची वृद्धि दर की राह पर बना रहेगा। उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष 2023-24 में देश की अर्थव्यवस्था के छह प्रतिशत की दर से बढ़ने की उम्मीद है।
कुमार ने आगे कहा कि उत्तर अमेरिकी और यूरोपीय अर्थव्यवस्थाओं में एक साथ आने वाली मंदी से आने वाले समय में बड़े जोखिम सामने आएंगे।
उन्होंने पीटीआई-भाषा के साथ साक्षात्कार में कहा, ‘‘सरकार ने पिछले आठ साल के दौरान जो सुधार किए हैं उनसे देश के पास ऊंची वृद्धि दर की राह पर बने रहने का अच्छा अवसर है। हम 2023-24 में छह प्रतिशत की वृद्धि हासिल करने में सफल रहेंगे।’’
कुमार ने कहा कि अर्थव्यवस्था के नीचे की ओर जाने को लेकर कई जोखिम हैं। विशेषरूप से अनिश्चित वैश्विक परिदृश्य इसकी एक प्रमुख वजह है।
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उन्होंने कहा, ‘‘हमें इन चुनौतियों का सामना सावधानी से तैयार नीतिगत उपायों के जरिये निर्यात के प्रयासों को समर्थन देकर करना होगा। इसके अलावा हमें घरेलू के साथ विदेशी स्रोतों से निजी निवेश का प्रवाह बढ़ाना होगा।’’
भारतीय रिजर्व बैंक का अनुमान है कि 2023-24 में भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर 6.4 प्रतिशत रहेगी। यह संसद में पेश आर्थिक समीक्षा के अनुरूप ही है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार, 2022-23 में सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान है।
आर्थिक समीक्षा 2022-23 में अगले वित्त वर्ष में वृद्धि दर के 6.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान लगाया गया है।
ऊंची महंगाई दर को लेकर सवाल पर कुमार ने कहा कि रिजर्व बैंक ने कहा है कि वह यह सुनिश्चित करेगा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में रहे।
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उन्होंने कहा, ‘‘साथ ही सर्दियों की अच्छी फसल खाद्य कीमतों को कम रखने में मदद करेगी।’’
रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति के अनुमान को 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है। जनवरी में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति 6.52 प्रतिशत रही थी।
चीन के साथ भारत के बढ़ते व्यापार घाटे पर एक सवाल पर कुमार ने सुझाव दिया कि भारत को चीन के बाजार में अधिक अवसर और पहुंच के लिए उसके साथ फिर से जुड़ना चाहिए। ‘‘कई उत्पाद हैं जो हमारा देश चीन को अधिक मात्रा में निर्यात कर सकता है।’’