Bill and Melinda Gates Foundation: भारत का सफल डिजिटल सार्वजनिक ढांचा दूसरे देशों के लिए मददगार
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि अन्य देश अपने स्वास्थ्य सेवा और अन्य विकास लक्ष्य हासिल करने में मदद के लिए भारत के सफल डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) के मॉडल का इस्तेमाल कर सकते हैं। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
दावोस: बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के एक शीर्ष अधिकारी ने मंगलवार को कहा कि अन्य देश अपने स्वास्थ्य सेवा और अन्य विकास लक्ष्य हासिल करने में मदद के लिए भारत के सफल डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे (डीपीआई) के मॉडल का इस्तेमाल कर सकते हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक में हिस्सा लेने यहां आए फाउंडेशन के अध्यक्ष (वैश्विक विकास) क्रिस्टोफर जे एलियस ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में यह बात कही।
उन्होंने कहा कि पिछले साल जी20 समूह के अध्यक्ष के तौर पर भारत ने वैश्विक समुदाय को संयुक्त राष्ट्र के टिकाऊ विकास लक्ष्यों के साथ प्रगति को तेज करने के तरीकों पर जागरूक करने की कोशिश की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि यहां दावोस में इसके बारे में बहुत चर्चा होने वाली है। मेरे हिसाब से वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य जैसे क्षेत्रों में बड़ी प्रगति लाने में भारत के सार्वजनिक डिजिटल ढांचे ने काफी मदद की है और यह दुनिया के लिए एक बढ़िया मॉडल हो सकता है।’’
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गेट्स फाउंडेशन के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि विशिष्ट पहचान, यूनिवर्सल पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) जैसी चीजों ने वास्तव में पिछले दशक में प्रगति और विकास को गति देने में भारत की बहुत अच्छी मदद की है।
उन्होंने कहा कि डब्ल्यूईएफ की बैठक में भाग लेने वाले नेता इस बात पर चर्चा कर सकते हैं कि भारत के इस सफल मॉडल को अन्य देशों, खासकर अफ्रीका और एशिया के साथ किस तरह साझा किया जा सकता है और इनसे क्या उन्हें अपने विकास लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिल सकती है।
उन्होंने कहा कि भारत से डब्ल्यूईएफ की दावोस बैठक में इतनी बड़ी उपस्थिति देखना बहुत रोमांचक है।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत में बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन ने स्वास्थ्य, कृषि, जल और स्वच्छता, डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और समावेशी वित्तीय सेवाओं सहित कई क्षेत्रों में काम किया है। हम इन क्षेत्रों में काम करना जारी रखेंगे।’’
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इसके साथ ही एलियस ने कहा कि कृत्रिम मेधा (एआई) वैश्विक विकास लक्ष्यों को तेजी से हासिल करने में मदद कर सकती है लेकिन इसका इस्तेमाल पूरी जिम्मेदारी के साथ और नैतिकता एवं नियमों का सजगता से पालन करते हुए किया जाना चाहिए।