लोकसभा में पिछले करीब चार वर्षों से कोई उपाध्यक्ष नहीं होना असंवैधानिक है
कांग्रेस ने लोकसभा में पिछले करीब चार वर्षों से कोई उपाध्यक्ष नहीं होने का मुद्दा उठाते हुए दावा किया कि यह ‘असंवैधानिक’ है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: कांग्रेस ने लोकसभा में पिछले करीब चार वर्षों से कोई उपाध्यक्ष नहीं होने का मुद्दा उठाते हुए दावा किया कि यह ‘असंवैधानिक’ है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पिछले महीने उच्चतम न्यायाल ने उस याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा था, जिसमें लोकसभा और विभिन्न राज्य विधानसभाओं में उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं होने को लेकर सवाल उठाया गया है। शीर्ष अदालत ने इस मुद्दे को ‘बहुत महत्वपूर्ण’ बताया था।
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उच्चतम न्यायालय के इस कदम के बाद ही विपक्षी दल का यह बयान आया है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘पिछले चार वर्षों से लोकसभा में कोई उपाध्यक्ष नहीं है। यह असंवैधानिक है। यह स्थिति मार्च 1956 से बिल्कुल अलग है, जब नेहरू ने विपक्षी दल ‘अकाली दल’ के सांसद सरदार हुकम सिंह का नाम इस पद के लिए प्रस्तावित किया था और उन्हें सर्वसम्मति से उपाध्यक्ष चुना गया था, जबकि वह नेहरू के आलोचक थे। ’’
लोकसभा अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के संबंध में अनुच्छेद 93 में कहा गया है कि लोकसभा अपने दो सदस्यों को यथाशीघ्र लोकसभा अध्यक्ष और लोकसभा उपाध्यक्ष पद के लिए चुनेगी।
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परिपाटी के मुताबिक, लोकसभा उपाध्यक्ष का पद आम तौर पर मुख्य विपक्षी दल को मिलता है, जो कि 23 जून, 2019 से रिक्त है।