कानपुर: छठ महापर्व पर सूर्योपासना के लिये सजे शहर के घाट
छठ पूजा बिहार और पूर्वांचल के लोगों का सबसे लोकप्रिय पर्व है लेकिन अब इस महापर्व की लोकप्रियता पूरे देश में बढ़ती जा रही है। दीपावली के छठवें दिन से शुरू होने वाला यह महापर्व 4 दिनों तक चलता है। कानपुर में भी छठ पूजा की जोरदार तैयारियां चल रही है।
कानपुर: दीपावली के छठवें दिन से शुरू होने वाला महापर्व छठ पूजा 4 दिनों तक चलता है। कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को मनाया जाने वाला हिन्दू पर्व छठ को सूर्योपासना का महापर्व भी माना जाता है। यह पर्व पूर्वी भारत के बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में मुख्य रूप से मनाया जाता है। कानपुर में भी छठ पूजा की जोरदार तैयारियां चल रही है। छठ पूजा को लेकर शहर के सभी घाट सज गये हैं। पनकी नहर समेत शहर के अन्य जगहों पर छठ पूजा की तैयारी में लोग जुटे हुए है। पनकी नहर के किनारे और सड़क के दूसरी तरफ कई वेदियां बनाई गयी है, जिन पर रंग रोगन किया जा रहा है।
लाखों की संख्या में आते हैं श्रध्दालु
आज (24 अक्टूबर) से शुरु होने वाली इस चार दिन की पूजा मे सफाई और सुरक्षा के साथ ही कई तरह की तैयारियां शुरु हो गयी है। कानपुर शहर के पनकी घाट और अर्मापुर नहर शास्त्री नगर जैसे क्षेत्रों मे होने वाली छठ पूजा मे लाखों लोग शामिल होते है। इस दौरान विधि-विधान से छठ मैया की पूजा कर सूर्य देवता को अर्घ्य देते हैं। सालों से शहर भर में होने वाली छठ पूजा की तैयारियों के लिये सभी कमेटियों के साथ शासन-प्रशासन भी तैयारियों में जुटा हुआ है।
छठ पूजा के लिए कृत्रिम तालाब
पनकी नहर स्थित छठ पूजा कमेटी के सदस्यों ने बताया कि नगर निगम द्वारा घाट पर किसी तरह की व्यवस्था नहीं की गयी है। जब लिखित पत्र भेजा गया तो दीवाली के बाद नगर निगम कर्मियों ने मौके पर पहुंचकर सफाई करायी, जबकि शास्त्री नगर इलाके में छट पूजा को लेकर नगर निगम दवारा कृत्रिम तालाब बनवाया जा रहा है। जिसके लिये जेसीबी द्वारा खुदाई की जा रही है। अन्य जगहों में होने वाली छट पूजा को लेकर नगर निगम के कर्मचारी साफ़ सफाई कर रहे हैं । नहर के किनारे लोग अपनी-अपनी वेदियों को रंग-रोगन कर अंतिम रूप देने में जुटे हुए है। वही घाटों पर रौशनी के लिए कमेटी द्वारा झालर और लाइटिंग की भी व्यवस्था पूरी हो चुकी है।
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पूरी होती है मनोकामना
एक श्रद्धालु अनीता ने बताया कि छट पूजा हमारा सबसे बड़ा त्योहार है। इस पर्व पर महिलायें व्रत रख कर छट मैया की पूजा करती है। जिसके चलते हम लोग अपने पूरे परिवार के साथ हर वर्ष पनकी नहर के किनारे अपनी बेदी की पूजा करते है। इस दिन पूजन के दौरान हम लोग जमकर आतिशबाजी भी करते है। इस पर्व पर नए कपड़े पहन कर ही पूजा करने का रिवाज है, खास बात यह है कि यह व्रत महिलायें ही रखती है। जिन महिलाओं के बच्चे नहीं होते है, वो महिलायें भी छट मइया का व्रत रखती है, जिससे उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है।
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सूर्य देव की बहन छठ देवी
इस पर्व पर सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया जाता है। छठ देवी को सूर्य देव की बहन माना जाता है, इसलिये उन्हें प्रस्न्न करने के लिये सूर्य देव की अराधना की जाती है। माना जाता है कि जो लोग इस दिन छठी माता की अराधना करते है, छठी माता उनका संतानो की रक्षा और सबका कल्याण करती है।