कानपुर: धनतेरस के लिये सजे बाजार, पर GST ने छिनी रौनक
सौ साल से भी पुराने हटिया बर्तन बाजार में धनतेरस के अवसर पर काफी मंदी देखी जा है। जीएसटी से कीमतें बढ़ने के अलावा बर्तनों के रेट में भी बहुत कन्फ्यूजन है। व्यापारी भी कीमतों को तय नहीं कर पा रहे हैं।
कानपुर: पूरे देश में लोग दीपावली और धनतेरस की तैयारियों में जुट गए है। लेकिन शहर की सबसे पुरानी हटिया बर्तन बाजार में जीएसटी के कारण खरीदारी में काफी मंदी देखी जा रही है। जीएसटी से बर्तनों के रेट बढ़ गये है, जिससे खरीदारों की तादाद घट गयी है। बर्तन महंगे होने से हटिया बाजार में पिछले साल की अपेक्षा इस बार व्यापारियों और ग्राहकों की जेबों पर काफी कुप्रभाव पड़ा है।
डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत करते हुए व्यापारी आशीष ने बताया कि हटिया का बर्तन बाजार काफी प्रसिद्ध है। इस बर्तन बाज़ार का इतिहास आज़ादी से जुड़ा हुआ है। आज़ादी के समय से ही ये बर्तन बाज़ार चला आ रहा है, जिसे लगभग 100 वर्ष हो गए हैं। आज़ादी के समय जब ये मार्केट था, तब व्यापारी लकड़ी के टट्टर लगाकर दुकानदारी करते थे।
यह भी पढ़ें |
कानपुर में जीएसटी के विरोध में कपड़ा व्यापारी पहुंचे कैबिनेट मंत्री के कार्यालय
इस बाजार में बर्तन बॉम्बे, मद्रास, हापुड़ और मुरादाबाद से बनकर आते हैं। आशीष ने बताया कि धनतेरस और दीवाली पर एक यूनिक आइटम पीतल में चांदी-सोने का सेट है, जिसमें तीन अलग अलग तरह की कटोरियां, एक ग्लास, चम्मच और थाली है, जिसकी कीमत लगभग बाइस सौ से लेकर अट्ठाइस सौ तक है।
यह भी पढ़ें |
कानपुर में कपड़ा कमेटी ने GST का कड़ा विरोध कर किया अनोखा प्रदर्शन
जीएसटी का व्यापार पर सीधा असर
आशीष ने बताया कि पिछले साल की अपेक्षा इस बार मार्केटिंग की रफ्तार बहुत धीमी हो गयी है। मार्केट तो सज गयी है, लेकिन जबसे जीएसटी आया तबसे बिज़नेस की रौनक फीकी पड़ गयी है। व्यापारियों का धंधा चौपट हो गया है। उन्होंने कहा कि जो धनतेरस का उत्साह पहले देखने को मिलता था, वो जीएसटी और नोटबंदी की वजह से कम हो गया है।
एक और दुकानदार रजत ने बताया कि जीएसटी लग जाने से रेट्स में बहुत कन्फ्यूजन है, ज्यादा रेट्स को लेकर समस्या आ रही है। अभी व्यापारी पूरी तरह रेट को लेकर तैयारी नही कर पाया है।