Rakesh Tikait: जानिये राकेश टिकैत के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य, कैसे बने किसान नेता? कभी की थी पुलिस की नौकरी, गये कई बार जेल
कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों के आंदोलन के बीच जो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है, वो है राकेश टिकैत। कल मंच पर रोने और आत्महत्या करने तक की बात करने वाले राकेश टिकैत के बारेमें जानिये कुछ दिलचस्प तथ्य
नई दिल्ली: मोदी सरकार ने जबसे तीन नये कृषि कानूनों को बनाया और किसानों द्वारा इनका विरोध शुरू हुआ, तबसे लेकर आज तक जो शख्स और नाम सबसे ज्यादा चर्चा में हैं, वो किसान नेता राकेश टिकैत। गाजीपुर बॉर्डर पर कल दोपहर से देर रात तक पुलिस और किसानों के बीच ड्रामा चलता रहा। राकेश टिकैत की गिरफ्तारी को आई दो राज्यों की पुलिस को आखिरकार बैरंग वापस लौटना पड़ा। किसानों के मंच पर अपने संबोधन के दौरान राकेश टिकैत ने पुलिस-प्रशासन के सामने वे सभी दांव खेले, जो खत्म होते किसान आंदोलन को बचाने के लिये बतौर एक नेता उनके लिये जरूरी थे।
टूटते-उखड़ते आंदोलन को दोबारा किया जिंदा
गाजीपुर बॉर्डर पर कल किसानों के मंच पर राकेश टिकैत रो पड़े और उन्होंने आत्महत्या तक की धमकी दे डाली। गणतंत्र दिवस परेड के दिन ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा में राकेश टिकैत के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज हुई है। पुलिस कल उनको सरैंडर करने को बोलती रही लेकिन राकेश टिकैत गिरफ्तारी और सरैंडर की बातों पर भी दिल्ली और यूपी पुलिस को उलझाते रहे। राकेश टिकैत ही वो शख्स थे, जिन्होंने इस पूरे घटनाक्रम पर देश की जनता, पुलिस-प्रशासन, किसान और नेताओं का ध्यान खींचे रखा और आखिकार फुल ड्रामे और क्लाइमैक्स के साथ इस टूटते-उखड़ते आंदोलन को दोबारा पूरे दमखम के साथ जिंदा रखने में सफल रहे।
पिता से विरासत में मिली राजनीति
राकेश सिंह टिकैत एक मजबूत किसान परिवार से आते हैं। 4 जून 1969 को पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गांव में जन्में राकेश टिकैत खेती-किसानी और किसानों की राजनीति विरासत में अपने पिता से मिली है। राकेश टिकैत देश के बड़े किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के दूसरे नंबर के बेटे हैं। महेंद्र सिंह टिकैत पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के बाद देश के दूसरे सबसे बड़े किसान नेता रहे हैं।
यह भी पढ़ें |
Kisan Andolan LIVE: गाजीपुर और सिंघु बॉर्डर पर लगातार बढ़ रही हलचल, भारी तादाद में पहुंच रहे किसान, जानिये ताजा अपडेट
बड़े भाई भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष
महेंद्र सिंह टिकैत भारतीय किसान यूनियन के लंबे समय तक राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 2011 में महेंद्र सिंह टिकैत की मृत्यु के बाद उनके बड़े बेटे नरेश टिकैत को यूनियन का अध्यक्ष बनाया गया। नरेश टिकैत के भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बनने की भी बड़ी वजहें थीं, वह यह कि खाप के नियमों के मुताबिक बड़े बेटे को ही पिता का वारिस और मुखिया बनाया जाता है। नरेश टिकैत तबसे यूनियन में सक्रिय रहे हैं।
एमए-एलएलबी और दिल्ली पुलिस में सब-इंस्पैक्टर
महेंद्र सिंह टिकैत के दूसरे बेटे राकेश टिकैत ने मेरठ यूनिवर्सिटी से एमए तक की पढ़ाई की है। उसके बाद उन्होंने एलएलबी किया। राकेश टिकैत 1985 दिल्ली पुलिस में बतौर कांस्टेबल भर्ती हुए। लेकिन पढ़े-लिखे और योग्य होने के नाते वे बाद में उनको प्रमोशन मिला और वे दिल्ली पुलिस में ही सब-इंस्पैक्टर के पद तैनात रहे। 90 के दशक में उनके पिता महेंद्र सिंह टिकैत ने किसानों के समर्थन में एक बड़ा आंदोलन छेड़ा और लाल किले पर धरने पर बैठ गये।
पिता के आंदोलन के लिये पुलिस से त्यागपत्र
सैकड़ों किसानों के साथ तब लाल किले पर चल रहे महेंद्र सिंह टिकैत के इस आंदोलन को खत्म करने का जिम्मा तब उनके बेटे राकेश टिकैत को दिया गया लेकिन राकेश टिकैत ने पुलिस की नौकरी से त्यागपत्र दे दिया। तबसे राकेश टिकैत हमेशा के लिये किसानों से जुड़ गये और उन्हें भारतीय किसान यूनियन का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। लेकिन व्यवहारिक तौर पर भारतीय किसान यूनियन की बागडोर तबसे राकेश टिकैत के हाथों में आ गयी। वे कुल चार भाई हैं। राकेश टिकैत से छोटे उनके दो भाइयों में एक खेती-किसानी और दूसरा एक शूगर मिल में बतौर मैनेजर काम करता है।
यह भी पढ़ें |
Rakesh Tikait: लाल किले की घटना पर राकेश टिकैत ने कही ये बात, पढ़ें पूरी खबर
चुनावी राजनीति में नहीं मिल सकी सफलता
राकेश टिकैत ने दो बार चुनावी राजनीति में भी किस्मत आजमाई लेकिन अब तक उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। पहली बार उन्होंने 2007 में मुजफ्फरनगर की खतौली विधानसभा सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर विधायकी का चुनाव लड़ा था, लेकिन वे जीत न सके। 2014 में उन्होंने अमरोहा जनपद से राष्ट्रीय लोक दल पार्टी से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था, लेकिन इसमें भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
44 बार जेल और तिहाड़ की यात्रा
किसानों से जुड़े अलग-अलग मुद्दों पर हुए आंदोलन और लड़ाई के कारण बताया जाता है कि राकेश टिकैत अब तक 44 बार जेल जा चुके हैं। वे मध्यप्रदेश में भी एक बार 39 दिनों तक जेल में रहे। दिल्ली में संसद भवन के बाहर किसानों के गन्ना मूल्य बढ़ाने को लेकर हुए प्रदर्शन के बाद भी उन्हें तिहाड़ जेल भेजा गयी। इसी तरह राजस्थान और उत्तर प्रदेश में हुए कई आंदोलनों के बाद उन्हें जेल भेजा गया।
फिर एक बार जेल भेजने की तैयारी
नये कृषि कानूनों के खिलाफ गणतंत्र दिवस के मौके पर किसानों की ट्रैक्चर रैली के दौरान हुई हिंसा और तोड़फोड़ को लेकर दिल्ली पुलिस द्वारा राकेश टिकैते के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गयी है। दिल्ली हिंसा में उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी दिया गया है। मौजूदा हालातों को देखते हुए संभावना जतायी जा रही है कि उन्हें फिर एक बार जेल भेजा ज सकता है।