जानिये, जलवायु संबंधी आपदाओं से बचाव में जरूरी इस पूर्व चेतावनी प्रणाली के बारे में

डीएन ब्यूरो

मछुआरों चार्लीन लेनिस, जेरोम बेजी और उनके 10 सदस्यों के लिए चक्रवात का पता लगाने के उद्देश्य से गहरे समुद्र में जाना खतरे से खाली नहीं होता। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस
संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस


कोच्चि: मछुआरों चार्लीन लेनिस, जेरोम बेजी और उनके 10 सदस्यों के लिए चक्रवात का पता लगाने के उद्देश्य से गहरे समुद्र में जाना खतरे से खाली नहीं होता।

जब 2021 में चक्रवात ‘तौकते’ भारत के दक्षिणी तट पर दस्तक देने वाला था तो मौसम एजेंसी ने एक बड़े तूफान को लेकर संदेश भेजा था। मछुआरे दो दिन के लिए समुद्र में थे और सैटेलाइट फोन पर चेतावनी मिलने के बाद फौरन बंदरगाह पर लौट आए थे।

लेनिस ने कहा, ‘‘हम गिलनेट मछुआरे हैं और हम हमेशा नौकाओं के दल के रूप में यात्रा करते हैं। कम से कम एक नौका पर सैटेलाइट फोन होगा।’’

वह मुख्यत: टूना, शार्क और अन्य बड़ी मछलियां पकड़ते हैं।

भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के साथ ही केरल सरकार ने 2017 में चक्रवात ओखी के बाद से चक्रवात चेतावनियों के लिए अवसंरचनाओं को बढ़ाया है। चक्रवात ओखी में समुद्र में 245 मछुआरों की मौत हो गयी थी। महज एक साल बाद केरल में अभूतपूर्व बाढ़ में सबसे बड़े शहर कोच्चि समेत पूरे राज्य में हजारों करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।

लोगों को भीषण मौसम आपदाओं को लेकर आगाह करने के तरीके बढ़ाना भारत के लिए महत्वपूर्ण होता जा रहा है। भारत दुनिया का सबसे घनी आबादी वाला देश तथा जलवायु परिवर्तन के लिहाज से सबसे संवेदनशील देश में से एक बनने की राह पर है।

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भारत की हाल की यात्रा में संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि विश्व मौसम विज्ञान संगठन (डब्ल्यूएमओ) दुनियाभर में समयपूर्व चेतावनी प्रणाली स्थापित करने के लिए करीब 25,000 करोड़ रुपये निवेश करेगा। डब्ल्यूएमओ के अनुसार, दुनिया के लगभग आधे देशों के पास पूर्व चेतावनी प्रणालियां नहीं हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार गुतारेस ने कहा था, ‘‘जिन देशों के पास सीमित, पूर्व चेतावनी प्रणाली है उनमें व्यापक चेतावनी प्रणाली वाले देशों की तुलना में आपदा मृत्यु दर आठ गुना अधिक होती है।’’

करेले की तरह लंबा और दक्षिण पश्चिमी भारत में फैला हुआ केरल राज्य जैवविविधिता संपन्न पश्चिम घाट के पर्वतों और अरब सागर के बीच बसा हुआ है। यह राज्य जलवायु परिवर्तन के लिहाज से सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्रों में से एक है जो हर गुजरते साल में तेजी से भीषण मौसम संबंधी घटनाओं जैसे कि चक्रवात, बाढ़ या गर्मी का सामना कर रहा है।

मौसम विज्ञान के लिहाज से भी राज्य का खास दर्जा है। केरल में बारिश होने के बाद ही इस उपमहाद्वीप में मानसून की घोषणा की जाती है जो भारतीय अर्थव्यवस्था और खेती के लिए अहम होता है।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के पूर्व सचिव माधवन राजीवन ने कहा, ‘‘केरल में मौसम की भीषण घटनाएं बढ़ रही है और उसे इससे निपटने के लिए पूरी तरह तैयार रहना चाहिए। संचार प्रणालियां मजबूत करना महत्वपूर्ण है ताकि सूचना लोगों तक पहुंचे जिन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत है, जैसे कि मछुआरे।’’

नयी दिल्ली में स्थित आईएमडी का चक्रवात चेतावनी प्रभाग भारत के चक्रवात पूर्वानुमान का प्रमुख केंद्र है। इस प्रभाग को उपग्रहों, स्थानीय कार्यालयों, डॉपलर रडार और सहयोगी एजेंसियों से डेटा मिलता है।

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जब कोई तूफान आ रहा होता है तो प्रभाग आपात अभियान के लिए एक कमांड सेंटर की तरह काम करता है जिसमें वैज्ञानिक चौबीसों घंटे निगरानी करते हैं और प्रभावित क्षेत्रों को सूचना देते हैं।

इस सूचना के आधार पर हजारों लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जाता है और मछुआरों को समुद्र से वापस बुलाया जाता है।

आईएमडी प्रमुख मृत्युंजय महापात्रा ने कहा, ‘‘जब चक्रवात आता है तो एक दिन में आठ बार बुलेटिन जारी किया जाता है जिनमें मछुआरों, बंदरगाहों और तटीय मौसम बुलेटिन को चेतावनियां देना शामिल है।’’

महापात्रा को 2013 में ओडिशा तट पर आए शक्तिशाली चक्रवात फैलिन के पथ की सटीक भविष्यवाणी करने के बाद ‘‘साइक्लोन मैन ऑफ इंडिया’’ का खिताब दिया गया।

आईएमडी के प्रयासों के बावजूद भारत में मौसम की भीषण घटनाओं में जान गंवाने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। आईएमडी की 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में मौसम संबंधी भीषण घटनाओं के कारण 2,000 से अधिक लोगों की मौत हुई है। एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, 2022 केरल के लिए सबसे गर्म साल रहा।

केरल ने 2018 में एक अलग चक्रवात चेतावनी केंद्र भी स्थापित किया। यह न केवल केरल बल्कि पड़ोसी कर्नाटक और हिंद महासागर में स्थित लक्षद्वीप के लिए भी काम करता है। देश में अब सात मौसम चेतावनी केंद्र हैं।










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