राजस्थान सरकार के ग्रामीण पर्यटन योजना का जानिये जनजीवन पर ये बड़ा असर, पढ़ें पूरा अपडेट

डीएन ब्यूरो

राजस्थान ग्रामीण पर्यटन योजना के अंतर्गत ग्रामीण गेस्ट हाउस, कृषि पर्यटन इकाइयां, कैम्पिंग साइट और कैरावन पार्क की स्थापना से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

राजस्थान  पर्यटन विभाग की निदेशक रश्मि शर्मा
राजस्थान पर्यटन विभाग की निदेशक रश्मि शर्मा


जयपुर:  राजस्थान ग्रामीण पर्यटन योजना के अंतर्गत ग्रामीण गेस्ट हाउस, कृषि पर्यटन इकाइयां, कैम्पिंग साइट और कैरावन पार्क की स्थापना से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर सृजित हो रहे हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार पर्यटन विभाग की निदेशक रश्मि शर्मा के अनुसार, इस योजना के चलते राज्य में अब ग्रामीण एक उद्यमी के रूप में भी अपनी पहचान बनाने में सफल हो सकेंगे। शर्मा के अनुसार, राजस्थान के किसान इस योजना के चलते कृषि जनित आय के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में पर्यटन एवं पर्यटन के माध्यम से रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने में कामयाब हो रहे हैं।

शर्मा के अनुसार, अल्प समयावधि में राज्य में 35 से अधिक ग्रामीण पर्यटन इकाइयां पंजीकृत हो चुकी हैं और अधिकतर ने कार्य करना शुरू भी कर दिया है। इन ग्रामीण पर्यटन ईकाइयों के कारण विदेशी मेहमान न सिर्फ राजस्थान के ग्रामीण जीवन को नजदीक से देख और समझ पा रहे हैं बल्कि ग्रामीण जीवन शैली को आत्मसात करते हुए ग्रामीण पर्यटन से भी जुड़ रहे हैं।

शर्मा के अनुसार, राज्य सरकार ने राजस्थान ग्रामीण पर्यटन योजना वर्ष 2022 में लागू की थी जिसका मुख्य उद्देश्य ग्रामीण पर्यटन को बढ़ाना देना, ग्रामीण जनजीवन, लोक कला व संस्कृति के साथ स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहित करते हुए रोजगार के अवसरों को सृजित करना है।

शर्मा के अनुसार, योजना के तहत भूमि रूपांतरण के बिना ही भूमि का पर्यटन गतिविधियों के लिए उपयोग किया जा सकता है जिसका सीधा फायदा कृषि पर्यटन ईकाइ एवं ग्रामीणों को हो रहा है।

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इस योजना के तहत ग्रामीण इलाकों में भी लोग पर्यटकों को अपने घर पर ठहरा सकते हैं। रिहायशी जमीन पर एक से पांच कमरों को ‘होम स्टे’ और छह से दस कमरों को गेस्ट हाऊस के रूप में संचालित किया जा सकता है।

योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्र की कृषि भूमि पर अनुमोदित कृषि इकाई की स्थापना की जा सकती है, जो की न्यूनतम दो हजार वर्गमीटर और अधिकतम दो हेक्टेयर होनी चाहिए, जिसके दस प्रतिशत भू-भाग पर कुल नौ मीटर ऊंचाई में निर्मित भूतल के साथ एक मंजिला आवास में रहने और भोजन की व्यवस्था तथा शेष 90 प्रतिशत भाग का उपयोग कृषि व बागवानी कार्य, ऊंट फार्म, घोड़ा फार्म, पक्षी एवं पशुधन, फसल बोने, हस्तशिल्प, बगीचे आदि गतिविधियों द्वारा पर्यटकों को ग्रामीण परिवेश का अनुभव देने के लिए किया जाएगा।

योजना की खास बात यह भी है कि इसके जरिए ग्रामीण संस्कृति, हस्तशिल्प व खेलकूद का भी संरक्षण हो रहा है।

जयपुर शहर के निकट आमेर तहसील का एक गांव बगवाड़ा में योगेंद्र सिंह बगवाड़ा, राजस्थान ग्रामीण पर्यटन योजना के तहत बगवाड़ा हैरिटेज रिसॉर्ट संचालित कर रहे हैं। इस रिसॉर्ट को शुरू हुए कुछ ही महीने हुए हैं और यहां न्यूजीलैंड से एक परिवार आकर ठहरा और देसी पर्यटकों का रुख भी इस ग्रामीण पर्यटन इकाई की ओर हो रहा है।

योगेंद्र सिंह का कहना है कि इस योजना के जरिए किसान अपनी खेती और खेत का संरक्षण करने में सफल हो रहे हैं और उन्हें यह आस भी बंध रही है कि इस योजना के कारण गांव से शहर की ओर पलायन रुकेगा।

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योगेंद्र सिंह के अनुसार खेत की ताजा सब्जियों के साथ खाना भी पर्यटकों के सामने पकाया जाता है।

योगेंद्र सिंह ने बताया कि उनके गांव में लाख का काम करने वाले और कुम्हार काफी प्रसिद्ध हैं। इन कलाकारों को प्रोत्साहन देने के लिए पर्यटकों को इनकी कला का प्रदर्शन भी करवाया जाता है, ‘लाइव डेमो’ देखने के बाद पर्यटक इन्हें खरीदने में भी रुचि दिखाते हैं।

योजना के तहत नेवटा के पास एक कृषि पर्यटन इकाई ‘डेरा अश्व’ का संचालन किया जा रहा है। ‘डेरा अश्व’ मुख्यतः घोड़ा फार्म है। यहां पर तकरीबन तीस घोड़े हैं और यहां विदेशी पर्यटकों को शौकिया घुड़सवारी सहित हैरिटेज खेल पोलो भी खेलने का मौका दिया जाता है।

देवीपाल सिंह ने विभिन्न नस्लों के 30 घोड़ों को फार्म में रखा है जबकि कमरों का नाम महाराणा प्रताप के चेतक और शिवाजी के कृष्ण जैसे प्रसिद्ध वीर घोड़ों के नाम पर रखा गया है तथा उनके विवरण और इतिहास का भी जिक्र किया गया है।

डेरा अश्व के संचालक पोलो खिलाड़ी देवीपाल सिंह का कहना है कि इस योजना के तहत स्थानीय बाशिन्दों को रोजगार भी उपलब्ध करवाने के अवसर उन्हें मिल रहे हैं, वहीं घोड़ा फार्म के जरिए वे घोड़ों के प्रति जागरुकता व संवेदना जगाने में भी सफल हुए हैं।










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