जानिये आखिर क्यों एनजीटी ने लद्दाख पर पर्यावरणीय जुर्माना लगाने पर किया परहेज
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रमुख सचिव के बयान और क्षेत्र की ''जमीनी स्थिति'' को ध्यान में रखते हुए उस पर ठोस एवं तरल अपशिष्ट के अनुचित प्रबंधन के लिए पर्यावरणीय जुर्माना लगाने से परहेज किया है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के प्रमुख सचिव के बयान और क्षेत्र की ''जमीनी स्थिति'' को ध्यान में रखते हुए उस पर ठोस एवं तरल अपशिष्ट के अनुचित प्रबंधन के लिए पर्यावरणीय जुर्माना लगाने से परहेज किया है।
लद्दाख के मुख्य सचिव ने एनजीटी से कहा है कि अपशिष्ट निपटान के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध कराई जाएगी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, एनजीटी नगरपालिका ठोस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016 के अनुपालन और राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों से जुड़े अन्य पर्यावरणीय मुद्दों पर सुनवाई कर रहा है।
एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की पीठ ने कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण प्रदान करना केंद्र शासित प्रदेश की संवैधानिक जिम्मेदारी और पूर्ण दायित्व है, जो कि बुनियादी मानवाधिकार के साथ-साथथ जीवन के अधिकार का भी एक हिस्सा है।
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उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश को योगदान देने वालों या अन्य माध्यमों से धन की आवश्यक व्यवस्था करनी होगी।
पीठ ने लद्दाख के प्रशासक की ओर से दायर प्रतिवेदन पर कहा कि ठोस और तरल अपशिष्ट के प्रबंधन में खामियां हैं।
उसने कहा कि एक ओर, लेह में उत्पन्न 6.18 टन प्रति दिन (टीपीडी) कचरे को पूरी तरह से संसाधित किया जा रहा है, तो दूसरी ओर कारगिल में 4.56 टीपीडी कचरे को संसाधित नहीं किया जा रहा है।
पीठ ने कहा कि अपशिष्ट के उत्पादन और इसके उपचार के बीच 15 मिलियन लीटर प्रति दिन (एमएलडी) का अंतर है।
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उसने कहा, “अन्य राज्यों जहां अपशिष्ट उत्पादन और प्रबंधन में अंतर पाया गया है, वहां अपशिष्ट निपटान की अनुमानित लागत लगभग 30 करोड़ रुपये है। प्रशासक के सलाहकार ने निष्पक्ष रूप से कहा है कि इस उद्देश्य के लिए इतनी राशि आवंटित की जाएगी। और, एक महीने के अंदर एक अलग खाते में यह राशि स्थानांतरित कर दी जाएगी।”
हरित पैनल ने कहा, “हम उक्त क्षेत्र में जमीनी स्थिति और मुख्य सचिव की ओर से स्वेच्छा से दिए गए इस बयान को ध्यान में रखते हुए लद्दाख पर पर्यावरणीय जुर्माना नहीं लगा रहे हैं कि ठोस और तरल कचरे के निपटान के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाएगा और अनुमानित राशि उचित खातों में जमा की जाएगी।”