यूपी आवास एवं विकास परिषद और तीन रियल एस्टेट कंपनियों पर 50 करोड़ का जुर्माना, जानिये पूरा मामला
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश (उप्र) के गाजियाबाद जिले में पर्यावरण से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने को लेकर उप्र आवास एवं विकास परिषद (यूपीएवीपी) और रियल एस्टेट क्षेत्र की तीन निजी कंपनियों पर कुल 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने उत्तर प्रदेश (उप्र) के गाजियाबाद जिले में पर्यावरण से जुड़े नियमों का उल्लंघन करने को लेकर उप्र आवास एवं विकास परिषद (यूपीएवीपी) और रियल एस्टेट क्षेत्र की तीन निजी कंपनियों पर कुल 50 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक अधिकरण का यह फैसला एक याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिसमें आरोप लगाया गया है कि चार परियोजनाओं के विकासकर्ता पर्यावरण से जुड़े नियमों का उलंघन कर रहे हैं।
याचिका के अनुसार, उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद, प्रतीक रियल्टर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, एपेक्स हाइट्स प्राइवेट लिमिटेड और गौर एंड संस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड गाजियाबाद में निर्माण परियोजनाओं पर काम कर रहे हैं, जिनमें यह उल्लंघन हुआ।
याचिका में कहा गया है कि पर्यावरण से जुड़े नियमों के प्रमुख उल्लंघनों में वृक्षारोपण और मल-जल शोधन संयंत्रों की अपर्याप्तता शामिल है, जिसके परिणामस्वरूप पर्यावरण और सार्वजनिक स्वास्थ्य को लगातार नुकसान हो रहा है।
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अधिकरण के अध्यक्ष न्यायमूर्ति एके गोयल की पीठ ने दलीलों और संयुक्त समिति की रिपोर्ट पर विचार किया। अधिकरण ने पूर्व में समिति का गठन किया था, जिसमें राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और गाजियाबाद जिला मजिस्ट्रेट को शामिल किया गया था।
पीठ ने कहा, ‘‘हमने पाया कि प्रदूषकों द्वारा क्षतिपूर्ति किये जाने के सिद्धांत के आधार पर जवाबदेही तय करने की जरूरत है। इसके अलावा मुआवजे की राशि का उपयोग पर्यावरण को दुरुस्त करने में उपयुक्त रूप से किया जाए।’’
पीठ में न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए सेंथिल वेल भी शामिल थे।
पीठ ने कहा, ‘‘यूपीएवीपी ने 1,844 आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस ) आवास का निर्माण करके इनकी बिक्री की है। 1,376 आवास कांशीराम योजना के तहत हैं तथा 1,292 आवास गंगा, यमुना और हिंडन अपार्टमेंट योजना में हैं। उक्त योजनाओं में से किसी में जल-मल शोधन संयंत्र (एसटीपी) नहीं हैं।’’
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पीठ ने हरित पेटी की अपर्याप्तता, जल-मल शोधन संयंत्र का अभाव और धूल प्रदूषण को नहीं रोकने को लेकर यूपीएवीपी पर 20 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया।
वहीं, अधिकरण ने प्रतीक रियल्टर्स इंडिया प्राइवेट लिमिटेड, एपेक्स हाइट्स प्राइवेट लिमिटेड और गौर एंड संस इंडिया प्राइवेट लिमिटेड पर 10-10 करोड़ रुपये का (प्रत्येक पर) जुर्माना लगाया।
मामले में अगली सुनवाई 10 अगस्त को होगी।