किर्गिस्तान की महिला को दिल्ली में मिला जीवनदान, डॉक्टरों ने किया ये बड़ा काम
लीवर की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित किर्गिस्तान की 35 वर्षीय एक महिला को यहां के एक प्रमुख निजी अस्पताल में 'ऑटो लीवर ट्रांसप्लांट' के जरिए नया जीवन मिला। चिकित्सकों ने बुधवार को यह जानकारी दी। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: लीवर की दुर्लभ बीमारी से पीड़ित किर्गिस्तान की 35 वर्षीय एक महिला को यहां के एक प्रमुख निजी अस्पताल में 'ऑटो लीवर ट्रांसप्लांट' के जरिए नया जीवन मिला। चिकित्सकों ने बुधवार को यह जानकारी दी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एक बयान में अस्पताल ने दावा किया कि यह प्रक्रिया “उत्तर भारत में पहली बार” अपनायी गई है।
ऑटो लीवर (यकृत) प्रतिरोपण में लीवर को शरीर से निकाल दिया जाता है और एक परिरक्षक (प्रिजर्वेटिव) घोल में रखा जाता है, जिसके बाद लीवर के रोगग्रस्त हिस्से को हटा दिया जाता है, क्षतिग्रस्त नसों को फिर से बनाया जाता है या कृत्रिम नसों से बदल दिया जाता है, और अंत में लीवर को फिर से शरीर में लगाया जाता है।
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अस्पताल ने कहा कि किर्गिस्तान की नागरिक को बीते तीन महीनों से पेट में दर्द था। हाल ही में उसका फोर्टिस एस्कॉर्ट्स अस्पताल में इलाज किया गया।
बयान में कहा गया कि अस्पताल में यकृत प्रतिरोपण विभाग के अध्यक्ष डॉ. विवेक विज के नेतृत्व में चिकित्सकों के एक दल ने आठ घंटे तक चले ऑपरेशन में “जटिल प्रतिरोपण” प्रक्रिया को अंजाम दिया।
विज ने बयान में कहा, “ऑपरेशन के दौरान हमने यकृत के क्षतिग्रस्त हिस्से को हटा दिया और इसे सफलतापूर्वक यकृत के सामान्य हिस्से से बदल दिया। ऑपरेशन के बाद, रोगी के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हुआ और ऑपरेशन के आठवें दिन बिना किसी ‘इम्यूनोसप्रेसेंट’ दवाओं के स्थिर स्थिति में उसे छुट्टी दे दी गई। ‘इम्यूनोसप्रेसेंट’ दवाओं की आमतौर पर अंग प्रतिरोपण के बाद आवश्यकता होती है।”
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उन्होंने कहा कि रोगग्रस्त हिस्से को हटाना काफी चुनौतीपूर्ण था क्योंकि यकृत आसपास की महत्वपूर्ण संरचनाओं में फंस गया था और अन्य जटिलताओं और रक्तस्राव के साथ महत्वपूर्ण अंगों को चोट लगने का खतरा था।
डॉ. विज ने कहा, “इस विशेष मामले में, हमने एक नई तकनीक (ऑटो लीवर ट्रांसप्लांट) का विकल्प चुना, जहां यकृत के क्षतिग्रस्त हिस्से को हटा दिया गया।”