Lok Sabha: वित्तमंत्री सीतारमण बोलीं- कांग्रेस ने देश को नहीं 'परिवार' को दी प्राथमिकता, इसलिए गंभीर संकट में पहुंची
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अगर सच्ची गंभीरता, पारदर्शिता से और राष्ट्र को प्रथम रखकर काम हो तो परिणाम सकारात्मक होते हैं, वहीं यदि देश को प्रथम नहीं रखकर ‘प्रथम परिवार’ को सामने रखा जाए तो भयावह संकट की स्थिति पैदा होती है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कांग्रेस को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि अगर सच्ची गंभीरता, पारदर्शिता से और राष्ट्र को प्रथम रखकर काम हो तो परिणाम सकारात्मक होते हैं, वहीं यदि देश को प्रथम नहीं रखकर ‘प्रथम परिवार’ को सामने रखा जाए तो भयावह संकट की स्थिति पैदा होती है।
वित्त मंत्री ने ‘भारतीय अर्थव्यवस्था और देश के नागरिकों पर इसके प्रभाव पर श्वेतपत्र’ को लोकसभा में चर्चा के लिए प्रस्तुत करते हुए ये बातें कहीं। सदन में नियम 342 के तहत इस मुद्दे पर चर्चा शुरू हुई।
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आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने श्वेतपत्र के विरोध में प्रस्ताव प्रस्तुत किए।
सीतारमण ने बृहस्पतिवार को संसद के दोनों सदनों में श्वेतपत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के 10 साल और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के 10 साल की अर्थव्यवस्था की तुलना की गई है।
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सीतारमण ने आज कहा कि दुनिया की पांच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में से भारत के पांच शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में पहुंचने और तीन शीर्ष अर्थव्यवस्थाओं में शामिल होने के करीब पहुंचने के तथ्यों को इस श्वेतपत्र में पूरी जिम्मेदारी और गंभीरता के साथ रखा गया है।
उन्होंने कहा कि लोकसभा और राज्यसभा के रिकॉर्ड में भविष्य के लिए ये तथ्यात्मक जानकारी होनी चाहिए, जो पूरे देश, सभी युवाओं के काम आएगी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने जब शासन संभाला तब अर्थव्यवस्था संकट में थी। उन्होंने कहा कि इस श्वेतपत्र में बताया गया है कि किस तरह प्रधानमंत्री ने दूरदृष्टि के साथ देश को सम्मान दिलाने के लिए पिछले 10 साल में किस तरह काम किया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह श्वेतपत्र स्पष्ट रूप से बताता है कि अगर सच्ची गंभीरता, पारदर्शिता से और ‘राष्ट्र को प्रथम’ रखकर सरकार काम करती है तो परिणाम कितने सकारात्मक होते हैं। और यदि आप देश को प्रथम नहीं रखते, पहले परिवार को सामने रखते हैं, पारदर्शिता के बजाय कुछ और प्राथमिकताएं रखते हैं तो परिणाम कैसे होते हैं।’’
उन्होंने कहा कि 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी से ज्यादा बुरे हालात कोविड-19 महामारी के समय थे, लेकिन सरकार की नीति और नीयत साफ थी तो अच्छे परिणाम मिले।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने इस देश को कैसे संभाला, किस तरह पूरे देश को टीके मुफ्त में उपलब्ध कराए और देश के बचाया, यह सब कैसे हुआ? इसका ब्योरा इस गंभीर दस्तावेज में है।
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उन्होंने कहा कि संप्रग के समय ‘राष्ट्रमंडल खेल घोटाले’ में जहां पूरी दुनिया में भारत की बदनामी हुई, वहीं जी-20 में समस्त राज्यों में आयोजनों के साथ विदेश में देश का सम्मान बढ़ा।
सीतारमण ने कहा कि संप्रग के दौरान कोयला खनन घोटाले से देश का बहुत नुकसान हुआ, जिसके कारण नौकरियों में नुकसान हुआ, निवेश नहीं आया और सहायक लघु उद्योग पूरी तरह ठप पड़े और बिजली उत्पादन के लिए कोयला आयात करना पड़ा।
उन्होंने कहा, ‘‘ये तो सत्यानाश करके चले गए। हमने सुधारात्मक उपाय किए, कोयला खनन विशेष प्रावधान कानून बनाया और जिला खनन कोष स्थापित किया। इस क्षेत्र में शत-प्रतिशत एफडीआई आना शुरू किया। अब कोयला खदान नीलामी से आवंटित की जाती हैं, पिछले दरवाजे से नहीं।’’
वित्त मंत्री ने कहा, ‘‘ये (कांग्रेस) लोग हमें क्रॉनी कैपिटलिज्म पर ज्ञान देते हैं। इन्होंने कोयले को राख बना दिया। हमने अपनी नीतियों के तप से कोयले को हीरा बना दिया।’’
उन्होंने कहा कि इस साल देश में 90 करोड़ टन कोयला उत्पादन हुआ है जो सर्वाधिक है और अगले वर्ष एक अरब टन कोयला उत्पादन का पूर्वानुमान है।