बुलंदशहर हिंसा मामले में यूपी पुलिस का हाल.. 'नौ दिन चलें अढ़ाई कोस'
बुलंदशहर हिंसा मामले में असल दोषियों की पहचान के लिए एडीजी इन्टेलीजेन्स की अध्यक्षता मे एक जांच कमेटी बनी थी। जिसे 48 घंटों में अपनी जांच रिपोर्ट तैयार करनी थी लेकिन अभी तक पुलिस के हाथ खाली है। डाइनामाइट न्यूज एक्सक्लूसिल..
लखनऊ: यूपी में भाजपा सरकार बनने के बाद से वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में गोकशी की घटनाओं को रोकने के निर्देश सख्ती के साथ सभी पुलिस कप्तानों को दिए थे। वहीं बुलंदशहर हिंसा की वजह अब तक की जांच में गोकशी की घटना ही सामने आई है। आईजी क्राइम एसके भगत ने एक आंकड़ा देते हुए बताया कि यूपी में 1 जून 2017 से 30 नवंबर 2018 तक गोकशी के 36 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। जिसमें से नौ हजार से अधिक लोगों को नामजद किया जा चुका है। पुलिस द्वारा दिए गए इन आंकड़ों से यह बात साफ हो जाती है कि प्रदेश में मुख्यमंत्री के गोकशी रोकने के सख्त आदेश देने के बाद भी गोकशी की घटनाएं नहीं रुक पाई हैं।
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गौरतलब है कि अभी एक बार फिर से हाल में ही बुलंदशहर हिंसा के बाद मुख्यमंत्री ने सभी जिलों के जिलाधिकारियों और पुलिस कप्तानों को गोकशी हर हाल में रोकने के आदेश दिए थे। लेकिन पुलिस द्वारा गोकशी के आंकड़े जारी करने के बाद यह तो साफ हो गया है कि मुख्यमंत्री के गोकशी रोकने के आदेश को यूपी के जिलों के जिलाधिकारी और पुलिस कप्तान अपने ठेंगे पर रखकर चलते हैं।
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आज जब बुलंदशहर हिंसा में शहीद हुए थाना कोतवाली के इंस्पेक्टर सुबोध कुमार के परिजन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके आवास पर मिले तो उनके परिजनों ने इंस्पेक्टर की हत्या में शामिल दोषियों पर कड़ी कार्यवाही करने की मांग दोहराई। जिस पर मुख्यमंत्री ने उन्हें कड़ी कार्रवाई का भरोसा दिलाया। मगर 3 दिसंबर को बुलंदशहर हिंसा घटित होने के बाद जिस एसआईटी का गठन कर 48 घंटे में रिपोर्ट सामने आने के बाद दोषियों पर कार्रवाई करने के पुलिस दावे कर रही थी। वह जांच रिपोर्ट 48 घंटे बीतने के बाद भी नदारद है।
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इस मामले में मेरठ के आईजी ने पुलिस द्वारा घटना के मुख्य सूत्रधार के रूप में नामजद बजरंग दल के जिला संयोजक योगेश राज को मामले में निर्दोष बताया। जबकि आईजी क्राइम एस के भगत का मानना है कि पुलिस ने बुलंदशहर हिंसा के बाद जिसे नामजद किया है। उसके खिलाफ पुलिस के पास सबूत रहे होंगे। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर क्या वजह है कि इस घटना के मामले में 2 सीनियर आईपीएस अफसरों के बयानों से साफ-साफ विरोधाभास झलक रहा है। बुलंदशहर हिंसा का मुख्य आरोपी पुलिस की गिरफ्त में कब तक आएगा यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल सकेगा।