लखनऊ में कोरोना की जांच में फर्जीवाड़ा, एक हजार रुपये में पेशैंट की नकली रिपोर्ट, एफआईआर दर्ज
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। यहां जांच रिपोर्ट में कालाबाजारी का यह मामला सामने आने से चारों तरफ हड़कंप मच गया है। डाइनामाइट न्यूज की स्पेशल रिपोर्ट..
लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में महामारी के इस दौर में कोरोना की जांच रिपोर्ट में बनवाने में कालाबाजारी का हैरान करने वाला मामला सामने आया है। कोरोना जांच रिपोर्ट में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आने पर सरकार समेत शासन और अस्पताल प्रशासन में हड़कंप मच हुआ है। पुलिस में अब इस मामले की एफआईआर दर्ज कर ली गयी है। पुलिस भी अलर्ट होकर पूरे मामले का जांच में जुट गयी है।
इस मामले की खुलासा तब हुआ, जब राजधानी लखनऊ के संजय गांधी पीजीआई में एक मरीज के तीमारदार ने कोरोना जांच की निगेटिव रिपोर्ट दिखाकर संस्थान के कार्डिक एमआइसीयू में भर्ती कराने की कोशिश की। शक होने पर रिपोर्ट जांच की गयी तो मामला सामने आया। अब संस्थान के सुरक्षा समिति के चेयरमैन एवं एनेस्थेसिया विभाग के प्रो. एसपी अंबेश ने स्थानीय थाने में इस मामले में एक एफआईआर दर्ज कराई गई है।
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उक्त लोगो से पूछताछ में पता चला कि कोरोना वायरस की जांच रिपोर्ट में कालाबाजारी की जाती है। यहां 500 से 1000 रुपये की वसूली करके नकली कोविड-19 की निगेटिव रिपोर्ट पेशेंट को दी जाती थी। यह भी सामने आया कि अब तक कई पेशैंट को ऐसी रिपोर्ट दी जा चुकी है। पीजीआई में इसके बाद हड़कंप मच गया।
प्रोफेसर एसपी अंबेश ने बताया कि इस फर्जीवाड़े में एक एफआईआर दर्ज करवाई गई है। मामले में पता चला कि अस्पताल में इलाज से पहले हर मरीज का कोविड टेस्ट किया जाता है और ऐसे में सैंपल लेने के बाद मरीजों को सेवा संस्थान बिल्डिंग में ठहरने की अनुमति दी जाती है। सेवा संस्थान बिल्डिंग में ठहरे हुए लोगों से पीजीआई में कोविड-19 की जांच करवाने के लिए 500 से 1 हजार रुपये लेकर कोरोना की हूबहू निगेटिव रिपोर्ट दे दी जाती है।
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आशंका जतायी जा रही है कि इस फर्जीवाड़ें में मेडिकल प्रोफेशन से जुड़े कुछ लोग भी शामिल हो सकते हैं। मामले की जांच के पता चल पायेगा कि अब तक कितने लोगों को ऐसी रिपोर्ट दी गयी है और कौन लोग इस फर्जीवाड़े में शामिल हैं।