DN Exclusive: महराजगंज की कई दुकानों पर नकली जिंक सल्फेट की भरमार, फसल हो रही बर्बाद, ऐसे जानें असली और नकली में अंतर

डीएन संवाददाता

महराजगंज जिले में शहर से लेकर गांव की चैराहों पर तमाम दुकानें खुली हुई है। कई दुकानदार नकली जिंक बेच रहे हैं। जबकि नकली जिंक सल्फेट डालने से फसलों पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। डाइनामाइट न्यूज की इस रिपोर्ट में जानिये असली और नकली जिंक का अंतर

नकली जिंक सल्फेट बेच रहे कई दुकानदार
नकली जिंक सल्फेट बेच रहे कई दुकानदार


महराजगंजः यह समय किसानों के लिये फसल में जिंक सल्फेट का प्रयोग करने का पीक आवर है। इसके छिड़काव से जहां रोगों से निजात मिलती है वहीं पौधे हरे-भरे हो जाते हैं। ऐसे में जिंक सल्फेट, माइक्रोन्यूटेंट की डिमाण्ड बढ़ गई है। खपत को देखते हुए कम्पनियों ने विभिन्न प्रकार के जिंक को बाजार में उतारा है। लेकिन इनमें असली और नकली की पहचान करना किसानों के लिए मुसीबत बन गई है।

नकली जिंक फसलों पर प्रतिकूल असर डाल रहा है। ऐसे में जिम्मेदार मौन साधे हुए हैं। 

जानिये जिंक सल्फेट को

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कृषि वैज्ञानिक डा. बीबी सिंह ने डाइनामाइट न्यूज को जिंक सल्फेट का असली पहचान करने का तरीका बताय। उन्होंने कहा कि इसके दाने हल्के, सफेद, पीले व भूरे बारीक कण के आकार के होते हैं। जिंक सल्फेट में प्रमुख रूप से मैगनीशियम सल्फेट की मिलावट की जाती है।

ऐसे करें पहचान 

जिंक सल्फेट के घोल मे पलती कास्टिक का घोल मिलाएं। वह सफेद मटमैला मांड जैसा अवशेष बनाता है। यदि इसमें गाढ़ा कास्टिक का घोल मिला दें तो यह अवशेष पूर्णतया घुल जाएगा। यदि जिंक सल्फेट की जगह पर मैगनीशियम सल्फेट का प्रयोग किया जाय तो अवशेष नहीं घुलेगा।  

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क्या बोले जिम्मेदार 

कृषि विभाग के अधिकारी ने डाइनामाइट न्यूज को बताया कि नकली जिंक बेचने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी। किसान जिंक खरीदने के साथ ही रसीद जरूर प्राप्त करें। दुकानदार गुणवत्ता विहीन जिंक बेचते पाया गया तो, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।










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