Maharajganj: भ्रष्टाचार की नींव पर बने बारात घर को देख SDM भी हैरान, दीवारों में दरारें, भरभराकर गिरा प्लास्टर, जानिये पूरा मामला
महराजगंज में जन-सुविधाओं से जुड़े निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार की नींव दिनो-दिन गहरी होती जा रही है। इस बार इसका गवाह जांच के लिये पहुंचे एसडीएम खुद बने, जिसके बाद जिम्मेदारों पर सख्त कार्रवाई हो सकती है। पढ़ें पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर
महराजगंजः जिले में नागरिक सुविधाओं से जुड़े निर्माण कार्यों में किस कदर धांधली और भ्रष्टाचार व्यापत है, इसके चश्मदीद गवाह खुद तेज तर्रार उप जिलाधिकारी साईं तेजा सीलम बने हैं। घुघली में 14 महीने पहले 1 करोड़ 40 लाख की रूपये की लागत से बना विवाह भवन का जायजा लेने गये सडीएम ने जैसे ही भवन की दीवार को हाथ लगाया वैसे ही दीवार का प्लास्टर भरभरा कर गिरने लगा। भवन की दीवारों पर कई जगह दरारें नजर आने से एसडीएम भी हैरान रह गये।
घुघली में इस विवाह भवन, नाली आदि के निर्माण में भष्टाचार को लेकर सभासद राकेश जयसवाल, अनिल जयसवाल, आदित्य अग्रहरि, रमेश वीरेंद्र जायसवाल समेत कुछ लोगों ने डीएम से शिकायत की थी। भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर इसके खिलाफ कुछ लोगों द्वारा धरना प्रदर्शन भी किया गया था। इन शिकायतों और विरोध प्रदर्शनों के बाद डीएम के आदेश पर प्रशासन ने एक जांच टीम गठित की।
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जांच टीम के सदस्य के रूप में शनिवार को एसडीएम जब इस भवन का निरीक्षण करने पहुंचे तो, इसमें बरती गयी लापरवाही और अनियमतता को लेकर वे भी आश्चर्य में पड़ गये। एसडीएम ने विवाह भवन की दीवार को जैसे ही हाथ लगाया, दीवार का प्लास्टर भरभरा कर नीचे गिर गया। दीवारों में कई जगह दरार साफ दिखाई दे रही थी।
निर्माण कार्य में भारी कोताही को देख एसडीएम सदर काफी नाराज और उत्तेजित नजर आये। एसडीएम ने जिलाअधिकारी को जांच रिपोर्ट सौंपने की बात कही है। समझा जा रहा है कि इस मामले में अब ठेकेदार समेत भवन निर्माण से जुड़े लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है।
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सभासद आदित्य अग्रहरि ने बताया कि सुभाष चौक पर पंडित दीनदयाल उपाध्याय योजना के तहत 53 लाख की लागत से बनाए गए इंटरलॉकिंग में पुराने ईटों का प्रयोग किया गया, पंचायत भवन में भी भ्रष्टाचार हुआ है, जिसे में भ्रष्टाचार तरम पर है।
जांच के लिए सभासदों ने घुघली के अधिशासी अधिकारी लव कुश मिश्र पर भी भ्रष्टाचार का गंभीर आरोप लगाते हुए हटाने की मांग की। सभासदों ने बताया कि शासनादेश के मुताबिक 3 साल से अधिक एक समय में कोई अधिकारी नहीं रह सकता लेकिन वो 5 साल से यहां रुके हुए हैं।