DN Exclusive महराजगंज: बाँध मरम्मत में मानकों का घोर उल्लंघन, ग्रामीणों में भारी भय और दहशत
नौतनवा क्षेत्र के सोनराडीह ढाला बाँध के मरम्मत कार्य में मानकों की भारी अनदेखी की जा रही है। बरसात करीब है और काम पूरा नहीं हुआ, जिससे ग्रामीणों में भारी भय है। कमजोर मरम्मत कार्यों से लोग सहमे हुए है। डाइनामाइट न्यूज़ ने बांध निर्माण के कार्यों का जब जायजा लिया तो कई खतरनाक पहलू सामने आये हैं। एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
महराजगंज: आसमान में काले-भूरे बादलों की आंखमिचोली को देखकर लोग आजकल अक्सर घबरा जाते है। उनका डर स्वाभाविक भी है। हर साल बरसात आते ही यहां का जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है। इस बार उनका डर और ज्यादा बढ़ा हुआ है क्योंकि बरसात से बचने की तैयारियां अभी तक पूरी नहीं हो सकी है और बांध निर्माण के कार्यों में मानकों का जमकर उल्लघंन किया जा रहा है।
मानक विहीन मरम्मत कार्य
प्रशासन पिछले कई दिनों से बड़ी तेजी के साथ सोनराडीह बाँध का मरम्मत करा रहा है लेकिन मानक विहीन मरम्मत कार्य होने से लोग सहमे हुए है। उन्हें डर सता रहा है कि बाढ़ आने पर कमजोर कार्यों के कारण इस बांध से उनकी कोई रक्षा नहीं हो सकेगी। जिस तरह के मरम्मत कार्य किये जा रहे हैं उससे कटान रुकने वाला नही है। जिससे उनके आँखों के सामने हजारों एकड़ फसलें जलमग्न हो जायेंगी और सैकड़ो लोग बेघर हो जायेंगे।
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ईंट-पत्थर के बजाय मिट्टी का इस्तेमाल
बांध निर्माण के कार्यों में ईंट-पत्थर की बजाय मिट्टी व दोयम दर्जे के ईंट के टुकडों से मरम्मत कार्य हो रहा है। बाढ़ आने पर मिट्टी बहने लगती है और धीरे-धीरे बोरे खिसकने लगते है, जिससे कटान होना स्वाभाविक हो जाता है।
जनता से खिलवाड़
डाइनामाइट न्यूज़ ने जब इस बारे में ग्रामीणों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि यह बांध का मरम्मत नहीं बल्कि जनता से खिलवाड़ हो रहा है। उन्होंने कहा कि मिट्टी भरी बोरियों से बाढ़ के पानी के दबाव को रोकना संभव नहीं होता। इसके लिए अव्वल दर्जे के ईट व पत्थर ही मरम्मत कार्य में इस्तमाल होना चाहिये।
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बंधों की मरम्मत ऐन वक्त पर क्यों?
जब सभी को मालूम है कि जुलाई-अगस्त में बरसात और बाढ़ आती है तो इस वक्त पर ही क्यों मरम्मत कार्य कराये जा रहे हैं। जबकि बंधों की मरम्मत पहले करा देना चाहिये?
मरम्मत कार्य का खस्ता हाल
वर्तमान में हो रहे मरम्मत स्थल के समीप गत मार्च में हुए मरम्मत कार्य का खस्ता हाल है। मिट्टी भरी बोरियां खिसकने लगी हैं बोरे सड़ चुके है। मिट्टी इधर उधर बिखर रही है। बाढ़ आने पर यहाँ भी भारी कटान हो सकता है।