महराजगंज: नेताओं की नजर में सिसवा नगरपालिका बने या तहसील.. क्या यह सिर्फ चुनावी मुद्दा ?
महराजगंज की नगर पंचायत सिसवा बाजार को तहसील और नगरपालिका बनाने का मुद्दा सालों से उठाया जा रहा है लेकिन नेताओं को इस मांग से कोई अंतर नहीं पड़ता है। उनके लिए यह चुनावी मुद्दा नहीं है। भाजपा ने इसे अपने चुनावी एजेंडे में भी शामिल किया था लेकिन इस बार भी यह मुद्दा चुनावों में वादों के रूप में सामने आ रहा है। डाइनामाइट न्यूज़ ने इसी मुद्दे पर सिसवा बाजार के व्यापारियों से बातचीत की है।
महराजगंज: लोकसभा चुनाव के सातवें चरण में महराजगंज जनपद में 19 मई को मतदान होना है। कई दशकों से वादें हुए, सूबे में हर पार्टियों की सरकारें आई और गईं लेकिन जिले की सबसे महत्त्वपूर्ण 148 वर्ष पुरानी नगर पंचायत सिसवा को आज तक न तो नगरपालिका का दर्जा मिला और ना ही तहसील का दर्जा मिल सका। समय-समय पर मांगें भी उठीं मगर आश्वासनों की घुट्टी पिलाये जाने के बाद भी सिसवा नगर पंचायत उपेक्षित ही रही।
आंकड़े बताते हैं कि 21 नवम्बर वर्ष 1871 यानि 146 वर्ष पूर्व ब्रिटिश हुकूमत ने सिसवा को सबसे पुरानी मंडी होने के चलते नगर पंचायत का दर्ज़ा दिया था। नगर पंचायत का दर्जा मिलने के बाद से सिसवा को नगर पालिका का दर्ज़ा दिए जाने की मांग उठी। किन्तु समय के साथ यह मांग ठंडे बस्ते में चली गई।
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इसके बाद 2 अक्टूबर वर्ष 1989 में महराजगंज जनपद के सृजन के बाद सिसवा को तहसील बनाये जाने की मांग उठी। कई पार्टियों की सरकारें आईं। और आश्वासन भी मिला परन्तु नतीज़ा वही ढाक के तीन पात निकला।
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वर्ष 2010 में प्रदेश में आरूढ़ बसपा सरकार ने महराजगंज जनपद से एक व कुशीनगर जनपद से दो तहसीलों के सृजन की आख्या तत्कालीन कमिश्नर के. रविन्द्र नायक से मांगी। जिस पर कमिश्नर द्वारा कुशीनगर जनपद के कप्तानगंज व खड्डा तथा महराजगंज जनपद के सिसवा को तहसील सृजन हेतु शासन को रिपोर्ट भेजा था।
काफी दिनों तक मामला फिर ठंडे बस्ते में ही रहा। फिर वर्ष 2012 में समाजवादी पार्टी की सरकार बनते ही कुशीनगर जनपद के खड्डा व कप्तानगंज नगर पंचायत को तो तहसील का दर्ज़ा दे दिया गया। मगर सिसवा इस बार भी उपेक्षित रह गया। और यहां के निवासियों को एक बार फिर निराशा हाथ लगी।
कस्बे के अमरेंद्र मल्ल, रोशन मद्धेशिया, विवेक सोनी सहित तमाम व्यवसाइयों का कहना है कि शासन-प्रशासन से सैकड़ों बार सिसवा को तहसील बनाने की मांग हुई। किंतु यहां के जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते सिसवा के लोगों की आवाज़ नक्कारखाने में तूती की आवाज़ साबित हुई। यहां तक कि विगत विधानसभा चुनाव में भाजपा के एजेंडे में सिसवा नगर पंचायत को नगरपालिका का दर्जा दिया जाना शामिल था।
इस चुनाव के समय सिसवा के वर्तमान विधायक प्रेमसागर पटेल ने खुले मंच से चुनावी घोषणा के तहत कहा था कि विधायक बनाने के बाद 3 माह के अंदर सिसवा नगर पंचायत को नगर पालिका का दर्जा दिला दूंगा। मगर ये आश्वासन भी सिसवा नगरवासियों के लिए घुट्टी ही साबित हुआ।
हालांकि चुनावी माहौल में पार्टियों के दिग्गजों द्वारा सिसवा को नगरपालिका और तहसील बनाने का एक बार फिर से वायदा तो मिल रहा है। पर यह वायदा कितना सच होगा, ये तो आने वाला समय बताएगा।