DN Exclusive: बिना वाजिब कारण सीओ निचलौल ने की दारोगा के अनिवार्य सेवानिवृत्ति की संस्तुति, एसपी हुए नाराज, एएसपी को सौंपी जांच
पूर्व में कैंसर का आपरेशन करा चुके 58 साल के एक बीमार दारोगा ने अवकाश की अर्जी लगायी तो सीओ निचलौल भड़क गये और मानवीय दृष्टिकोण अपनाये बिना एसपी के पास दारोगा की अनिवार्य सेवानिवृत्ति की संस्तुति भेज दी। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:
निचलौल (महराजगंज): कुर्सी पर बैठने के बाद अफसर बेअंदाज होते जा रहे हैं। मातहतों के लिए मानवीय संवदेनायें तो मानों मर सी जा रही हैं। वह तो भला हो जिले में एसपी की कुर्सी पर एक संवेदनशील अफसर बैठे हैं, अन्यथा सीओ जैसे अफसर मातहतों के व्यवहारिक न्याय को भी घोल कर पी जाने पर आमादा हैं।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के हाथ एक एक्सक्लूसिव चिट्ठी हाथ लगी है। निचलौल थाने में तैनात दारोगा लल्लन राम की उम्र 58 वर्ष की है। पूर्व में इनका कैंसर का आपरेशन भी हो चुका है। कुछ दिन से इन्हें चक्कर और घबराहट की शिकायत थी, जिसका इलाज इन्होंने निचलौल स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पर कराया। डाक्टर ने 7 दिनों का बेड रेस्ट बताया। इसके बाद बीमार दारोगा ने 23 जुलाई को दस दिन के अवकाश का प्रार्थना पत्र दिया। साथ ही डाक्टरी इलाज के पर्चे भी लगाये।
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सीओ निचलौल के पास यह अर्जी पहुंची तो उन्होंने दस दिन का अवकाश तत्काल देने की संस्तुति तो कर दी लेकिन साथ ही यह संस्तुति भी कर दी कि दारोगा को अनिवार्य सेवानिवृत्ति भी दे दी जाय।
अनिवार्य सेवानिवृत्ति का मतलब होता है, समय से पहले जबरन रिटायर कर देना। यह उन कर्मचारियों के साथ किया जाता है, जो भ्रष्टाचार में लिप्त हों अथवा जानबूझकर ड्यूटी के प्रति लापरवाही करते हों लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ भी नहीं था जिसकी वजह से इतनी सख्त संस्तुति की जाये।
जब संस्तुति समेत यह पत्र एसपी डा. कौस्तुभ के पास पहुंचा तो वे यह देख हैरान रह गये कि कैसे बिना वाजिब कारण सीओ निचलौल सुनील दत्त दूबे अपने मातहत पर अत्याचार ढ़ाने को उतावले हैं।
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एसपी ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि सीओ ने बीमार दारोगा की छुट्टी की अर्जी पर अनावश्यक टिप्पणी और गलत संस्तुति की है। यदि दारोगा छुट्टी मांग रहे थे तो उन्हें सिर्फ छुट्टी की बात करनी चाहिये थी न कि अनिवार्य सेवानिवृत्ति की। एसपी ने कहा कि वे सारे मामले की जांच एएसपी को सौंप रहे हैं।