महराजगंज: हत्या के 23 साल पुराने मामले में अदालत ने सुनाया बड़ा फैसला, दोषी को उम्र कैद, जानिये हाथ व सिर कटी लाश से जुड़ा पूरा मामला
महराजगंज जनपद की एक अदालत ने 23 साल पुराने हत्या का मामले में दोषी पाये गये अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
महराजगंज: जनपद में 23 साल पहले हाथ व सिर कटी लाश मिलने से सनसनी फैल गई थी। सितंबर 2000 में हुई हत्या के इस सनसनीखेज मामले में अदालत ने फैसला सुना दिया है। हत्या के इस मामले में थाना कोल्हुई क्षेत्र निवासी अभियुक्त दीप्पन सोनार को अदालत ने दोषी करार देते आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही उसे तीन साल के सश्रम कारावास की भी सजा सुनाई गई।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक अपर सत्र न्यायाधीश (प्रथम) पवन कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने धारा 302, 201 भारतीय दंड संहिता के तहत अभियुक्त दीप्पन सोनार को दोषी करार दिया।
अदालत द्वारा दोषी करार दिये अभियुक्त दीप्पन सोनार ग्राम सभा बढ़गो में 21 सितंबर 2000 में गांव के ही रहने वाले रामसूरत उर्फ पम्मी की हत्या को अंजाम दिया था।
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इस मामले में वादी मुकदमा रामशरण पुत्र भागीरथी निवासी बडगो थाना कोल्हुई ने मुकदमा दर्ज कराया। रामशरण ने पुलिस को दी अपनी शिकायत में कहा था कि 21 सितंबर 2000 को 8:00 बजे उसका भतीजा रामसूरत उर्फ पम्मी पुत्र पूर्णमासी और उसका पुत्र बाबूराम बडगू बाजार गये थे।
रामसूरत उर्फ पम्मी जब अपने घर नहीं पहुंचा तो वादी उसे बुलाने के लिए स्वयं दीप्पन के पास गया। क्योंकि उसकी दीप्पन से दोस्ती थी और उसको उससे मिलना भी था। लेकिन दीप्पन ने बताया कि रामसूरत पम्मी उसके पास से काफी देर पहले चले गए हैं।
घटना के दूसरे दिन 22 सितंबर सन 2000 को दीप्पन से पूछने पर उसने बताया की रामसूरत रात में ही कहीं चला गया है, लेकिन वह नहीं जानता है कि वह कहां गया है। रामसूरत अक्सर नौकरी के सिलसिले में बनारस एवं मुंबई आता-जाता रहता था।
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घटना के कुछ दिनों बाद 6 अक्टूबर सन 2000 को गांव के कुछ लोगों ने बडगो गांव के सिवान में स्थित चेतिया तालाब में हाथ व सिर कटी लाश को देखा। लाश बरामद होने से वहा सनसनी फैल गई।
सूचना पर वादी के भाई पूर्णमासी ने मृतक के कपड़े व बेल्ट आदी को देखकर उसकी पहचान रामसूरत उर्फ पम्मी के रूप की है। विस्तृत जांच में पता चला कि रामसूरत उर्फ पम्मी की हत्या को दीप्पन सोनार ने अंजाम दिया था।
इस मामले में पुलिस द्वारा द्वारा दीप्पन सोनार, रामजस, दशरथा देवी, जमील एवं अहमद हुसैन के विरुद्ध न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया गया। अदालत में कई दस्तावेजी साक्ष्यों और 12 गवाहों को पेश किया गया। न्यायालय ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों व सबूतों के आधार पर शेष अभियुक्तो को बरी करते हुए मुख्य आरोपी अभियुक्त दीप्पन सोनार को हत्या का दोषी करार दिया और उम्र कैद की सजा सुनाई।