Raebareli: जिला अस्पताल में बाहर से लिखी जा रही डायलिसिस को दवा, जांच करने पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट
रायबरेली में जिला अस्पताल स्थित डायलिसिस विभाग में फैले भ्रष्टाचार व सीएमएस की मनमानी के खिलाफ और आयुष्मान कार्ड पर इलाज न किए जाने को लेकर पीड़ित परिवारों ने जिलाधिकारी हर्षिता माथुर से शिकायत की थी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज की ये रिपोर्ट।
रायबरेली: जिला अस्पताल स्थित डायलिसिस विभाग में फैले भ्रष्टाचार व सीएमएस की मनमानी के खिलाफ और आयुष्मान कार्ड पर इलाज न किए जाने को लेकर पीड़ित परिवारों ने जिलाधिकारी हर्षिता माथुर से शिकायत की थी। अब सिटी मजिस्ट्रेट इसकी जांच करने जिला अस्पताल पहुंचे।
डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के मुताबिक नगर मजिस्ट्रेट धीरेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने अस्पताल पहुंचकर सीएमएस से पूरे मामले में पूछताछ की। जानकारी के मुताबिक आज बुधवार को शहर कोतवाली थाना क्षेत्र स्थित जिला अस्पताल में बने डायलिसिस सेंटर में डायलिसिस करने के नाम पर अवैध वसूली की लगातार शिकायत मिल रही थी। आयुष्मान कार्ड से मरीज को लाभ न दिए जाने को लेकर सलोन थाना क्षेत्र के रहने वाले पीड़ित परिवार ने जिला अस्पताल में धरना भी दिया था।
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मंगवाई जा रही बाहरी दवा
डीएम से पूरे मामले की शिकायत की गई थी। इसके बाद जिलाधिकारी हर्षिता माथुर के निर्देश पर नगर मजिस्ट्रेट ने जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर प्रदीप अग्रवाल से पीड़ितों के सामने ही पूछताछ की। साथ ही आयुष्मान कार्ड से इलाज न दिए जाने को लेकर भी जांच पड़ताल की। पीड़ित परिवार का आरोप था कि डायलिसिस विभाग में लगातार उनसे बाहरी दवाई मंगा कर उनसे अवैध वसूली की जा रही है, जबकि उनके पास आयुष्मान कार्ड था। आयुष्मान कार्ड से इलाज ना करके बाहर से दवाई मंगाई जा रही हैं।
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जांच करने के बाद सिटी मजिस्ट्रेट ने कहा कि कुछ लोगों ने आज जनसुनवाई के दौरान शिकायत की थी कि आयुष्मान कार्ड होने के बावजूद में जिला अस्पताल में उन्हे दवाइयां नहीं मिल पा रही हैं। इसको लेकर हमने सीएमएस से बात की। उन्होंने बताया कि उनके यहां पर डायलिसिस तो हो रही है, लेकिन नेफ्रोलॉजिस्ट की नियुक्ति नहीं है। इसलिये हम इन्हें नेफ्रो वाली दवा नहीं दे पा रहे है। सीएमओ के साथ सहमति बताते हुए सीएमएस से कहा गया है कि यदि डायलिसिस हो रही है तो वह दवा भी लिख सकता है। उन्होंने कहा कि आयुष्मान योजना में 1500 रुपये तक का एक पैकेज आता है। इसके अंदर ही 75 प्रतिशत की सीमा के अंदर दवा दे सकते हैं। दवा देने की बात पर अब सहमति बन गई है।